हम देश को प्रधानमंत्री देते हैं, से हम देश का प्रधानमंत्री बनाते हैं, की गर्वानुभूति उत्तर प्रदेश के लोगों को ऐसी रही कि उन्हें यह अहसास ही नहीं हुआ कि कब देश में उनकी गिनती बीमारू राज्यों में होने लगी। इसकी शुरुआत कांग्रेस के शासनकाल में ही हो गई थी, लेकिन जब क्षेत्रीय पार्टियों का राजनीतिक प्रभाव बढ़ा और उत्तर प्रदेश में जातिवाद चरम पर पहुंचा तो इस बात का अनुमान ही नहीं रहा कि जातिवाद और क्षेत्रीय पार्टियों की राजनीति में गुंडागर्दी, अपराध कब उत्तर प्रदेश की पहचान के साथ जुड़ गए।

हालात यहां तक पहुंच गए कि चुनावी राजनीति में सफलता के लिए अपराधियों का साथ जरूरी जैसा हो गया। प्रदेश के लगभग हर जिले में एक बड़ा अपराधी था, जिसकी स्वीकृति के बिना सामान्य जनजीवन भी मुश्किल हो गया। प्रदेश की पहचान धूमिल पड़ती जा रही थी। हर कोई दिल्ली-मुंबई या अन्य औद्योगिक राज्यों में कमाने-खाने के मौके खोजने जाने लगा था।

मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उनके सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही था कि राज्य के हर जिले में स्थापित गुंडा तंत्र को खत्म करके लोगों को सामान्य जीवन जीने के लिए कैसे परिवेश तैयार किया जाए। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेङिाझक सार्वजनिक तौर पर कहा कि अपराधी या तो अपराध छोड़ेंगे या फिर राज्य छोड़ेंगे। सार्वजनिक तौर पर किसी मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान पर आई तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद योगी आदित्यनाथ ने तय किया कि अपराध और अपराधियों के साथ जरा भी हीलाहवाली नहीं की जाएगी।

अपराधियों पर नकेल : मार्च 2017 से योगी राज में करीब सवा सौ अपराधी मारे जा चुके हैं और करीब तीन हजार से अधिक अपराधी घायल होकर जेल में हैं। इसके अलावा भी करीब 40 हजार अपराधियों के गैंगस्टर एक्ट और 500 से ज्यादा अपराधियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया। अपराधी खुद थाने पहुंचने लगे आत्मसमर्पण करने के लिए। अपराधियों के विरुद्ध तैयार जनमानस का ही प्रभाव था कि बहुजन समाज पार्टी ने मुख्तार अंसारी को टिकट न देने का निर्णय सार्वजनिक तौर पर सुनाया। अपराधियों को खुलेआम लेने का दुस्साहस अब कोई पार्टी नहीं कर पा रही है। योगी आदित्यनाथ बिना संकोच इन पंक्तियों का उद्घोष करते हैं, ‘परित्रणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम’ और जब अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश के हकीकत बनने की खबरें आने लगीं तो देश-विदेश में कारोबारी की इच्छुक कंपनियों की सूची में गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे औद्योगिक तौर पर विकसित राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश का नाम भी शामिल हो गया।