अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नहीं करेंगे, थक चुके हैं हम; सीएम नीतीश के मंत्री का बयान

बिहार सरकार ने राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग को छोड़ दिया है। नीतीश सरकार में योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि अब बिहार सरकार केंद्र से विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं करेगी। पटना में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार की तरफ से इसको लेकर कई बार बातें की गई। विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते-करते हमने कई साल बिता दिए। इसके लिए राज्य की तरफ से कमिटी का गठन किया, रिपोर्ट भी पेश की गयी, लेकिन सभी बातें बेनतीजा रहीं। अब हम कितनी बार इसको लेकर मांग करेंगे?

उन्होंने आगे कहा कि लगातार 7-8 साल से सरकार मांग कर ही रही है। किसी चीज की मांग करने की भी एक सीमा होती है। अब कितने दिन इसको लेकर बैठे रहेंगे। अब हमने इस ओर सोचना छोड़ दिया है और हम अपना काम कर रहे हैं। हालांकि उन्होनें आगे कहा कि बिहार के हर क्षेत्र में विशेष सहायता की होगी मांग।

विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के मुद्दे पर जदयू की राजनीति हुई बेनकाब: कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी के विधान परिषद सदस्य प्रेमचन्द्र मिश्रा ने राज्य के योजना विकास मंत्री के द्वारा की गई उस घोषणा को राज्य के लोगों के भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया जिसमे विशेष राज्य के दर्जा मुद्दे से वापस हटने की बात कही गयी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का आरंभ से मानना था कि भाजपा-जदयू इस मुद्दे पर गंभीर नही है और जदयू इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीत करती रही है। उसने पिछले एक दशक से बिहार की जनता को अंधेरे में रखा। कांग्रेस एमएलसी ने पूछा कि सत्ता में बैठे दल इस संबंध में अकेले निर्णय कैसे ले सकते हैं जबकि बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने विधानमंडल में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर विशेष राज्य के दर्जा की मांग की थी?

उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री के उन बातों का क्या हुआ जो लगातार सुनने को मिला करता था कि जो विशेष राज्य का दर्जा हमें देगा हम उसके साथ जाएंगे तथा बिहार एक पिछड़ा राज्य है जिसके विकास और प्रगति के लिए विशेष राज्य का दर्जा अनिवार्य आवश्यकता है? इस प्रमुख मुद्दे से पीछे हटकर बिहार सरकार ने राज्य की जनता को ना सिर्फ निराश किया है, बल्कि इससे यह भी प्रमाणित हो गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने विशेष राज्य के दर्जा मामले को लेकर अब तक सिर्फ राजनीति की है। आखिर जदयू की क्या मजबूरी है जो उसे उपेक्षा के बाबजूद भाजपा का पिछलग्गू बने रहने पर मजबूर कर दिया है? विशेष राज्य के दर्जा मामले में यू टर्न लेने पर मुख्यमंत्री को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।