मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) जनता के दरबार (Janta Darbar) कार्यक्रम के जरिए आम जनता की समस्याओं को सुनते हैं और तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री जनता के दरबार कार्यक्रम में सूबे के कोने कोने से लोग अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे। सीएम नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, अति पिछड़ा विभाग,समाज कल्याण, विज्ञान एवं प्रावैधिकी,कला संस्कृति समेत अन्य विभागों से जुड़ी शिकायतों को सुनने के बाद उसके निदान के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया। सोमवार जनता दरबार में एक युवक की शिकायत सुन सीएम नीतीश कुमार गुस्से में आ गए और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को तलब कर तुरंत मामले के निराकरण का निर्देश दिया।

पूर्व विधायक के दामाद की शिकायत

मुख्यमंत्री जनता के दरबार कार्यक्रम में सोमवार को नवादा से आए एक टीचर ने राजद के पूर्व विधायक राजवल्लभ यादव के दामाद के कालेज से जुड़ी शिकायत की। शिकायतकर्ता ने कहा कि उनके वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जबकि वे उस कालेज में प्रचार्या के पद पर काम कर चुके हैं। शिकायत सुनने के बाद सीएम ने मामले के निपटारे के लिए शिक्षा विभाग के पास भेज दिया। समाधान के लिए शिक्षा विभाग के पास भेज दिया।

लड़के की जगह लग गई लड़की की तस्वीर

मुख्यमंत्री के जनता दरबार में शिक्षा विभाग से जुड़ी कई समस्याएं आईं। शिवहर के एक युवक ने मुख्यमंत्री के सामने कहा कि मैंने 2016 में मैट्रीक की परीक्षा पास की थी। लेकिन मेरे मैट्रिक के रिजल्ट में मेरी तस्वीर की जगह लड़की की तस्वीर लगा दी गई है। शिकायकर्ता ने सीएम के सामने कहा कि सुधार के लिए बिहार बोर्ड को आवेदन भी दिया लेकिन अब तक विभाग की तरफ से लड़की की तस्वीर नहीं बदली गई है। मुख्यमंत्री ने शिकायत सुनने के बाद शिक्षा विभाग के आला अधिकारी को फोन कर कहा कि, लड़का मेरे सामने बैठा है और उसके सर्टिफिकेट पर लड़की की तस्वीर लगी है। सीएम ने इस मामले को देखने का कहा।

पिछड़ा विभाग के सचिव को भी किया तलब

मुख्यमंत्री के जनता दरबार में समस्तीपुर से आए एक युवक की शिकायत सुनकर सीएम गुस्से में आ गए है। दरअसल युवक ने मुख्यमंत्री के सामने कहा कि उसने 2017 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी, लेकिन उसे प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई। युवक ने आरोप लगाया कि पूछने पर दफ्तर से धक्के मारकर निकाल दिया जाता है। यह बात सुनकर सीएम गुस्से में आ गए। उन्होंने पिछड़ा विभाग के सचिव को तलब किया। इसके बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के अपर सचिव को बुलाकर इस मामले को तुरंत देख लेने का निर्देश दिया।