सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले में की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना पूरी तरह स्वतंत्र होकर जांच करनी चाहिए। यह मामला इस साल फरवरी में 24 वर्षीय कृष्णा यादव उर्फ पुजारी की हिरासत में कथित मौत से संबंधित है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में दर्ज एफआईआर के अनुसार यादव को पुलिस ने 11 फरवरी को उसके घर से उठाया था। आरोप है कि अगले दिन पता चला कि यादव की मौत हो गई है।
यह मामला सुनवाई के लिए न्यायाधीश विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस की पीठ के सामने आया था। पीठ ने कहा कि हमें मामले में सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने के लिए कोई मजबूत आधार नजर नहीं आता है। हालांकि, मामले में तथ्यों को देखते हुए हमने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह कानून के अनुसार स्वतंत्रत होकर इस मामले की जांच करे और इलाहाबाग हाईकोर्ट के आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी से कतई प्रभावित न हो।
इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) समेत विभिन्न धाराओं में 12 फरवरी को एक एफआईआर दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई जांच कराने का आदेश जारी किया था।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मृतक के भाई की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि कुछ पुलिस अधिकारी 11 फरवरी को यादव के घर आए थे और किसी झूठे मामले में से फंसाने के लिए उठा ले गए थे।हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का उल्लेख किया था कि पुलिस रिकॉर्ड में दावा किया गया था कि कृष्णा यादव को मोटरसाइकिल चलाते समय पकड़ा गया था। इस दौरान वह गिर गया था और इसके चलते वह घायल हो गया था। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार यादव को पुलिस स्टेशन लाया गया जहां उसे पहले प्राथमिक उपचार मुहैया कराया था। डॉक्टर ने उसे जिला अस्पताल रेफर किया लेकिन वहां पहुंचते-पहुंचते उसकी मौत हो गई थी।