दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में हुए साम्प्रदायिक दंगों के दौरान एक मस्जिद को कथित रूप से क्षतिग्रस्त करने और उसमें आग लगाने, तोड़फोड़ करने और पथराव करने के लिए एक पिता-पुत्र के खिलाफ आगजनी और दंगा करने के आरोप तय किए हैं।

शिकायतकर्ता के अनुसार, मिठ्ठन सिंह और उनके बेटे जॉनी कुमार पर 25 फरवरी, 2020 को दिल्ली के खजूरी खास इलाके में “जय श्री राम” के नारे लगाने वाली और मस्जिद को क्षतिग्रस्त करने वाली हिंसक भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने दोनों आरोपियों के खिलाफ आवश्यक धाराओं के तहत आरोप तय किए और उनके वकीलों की उपस्थिति में उन्हें स्थानीय भाषा में समझाया, जिस पर उन्होंने इस मामले में दोषी नहीं होने का दावा किया।

न्यायाधीश ने 20 नवंबर के एक आदेश में अभियुक्तों के वकील द्वारा दी गई इस दलील को भी खारिज कर दिया कि वे मामले में आरोपमुक्त होने के हकदार हैं क्योंकि घटना की रिपोर्टिंग और गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी हुई थी। उन्होंने कहा कि सिर्फ इस आधार पर आरोपमुक्त होने का दावा नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी जानबूझकर नहीं की गई थी और दंगे की घटना के दौरान और बाद में क्षेत्र में पैदा हुई स्थिति के कारण हुई थी।

अदालत ने आगे कहा कि दंगों के बाद भी कई दिनों तक क्षेत्र में आतंक और डर का माहौल बना रहा। इन परिस्थितियों में पुलिस को घटना की सूचना देने में लगभग एक सप्ताह की देरी उचित प्रतीत होगी और इसे घातक नहीं माना जा सकता है।

शिकायतकर्ता इसराफिल के अनुसार, मिठ्ठन सिंह और उनके बेटे जॉनी कुमार कथित रूप से उस हिंसक भीड़ का हिस्सा थे, जिसने 25 फरवरी, 2020 को उनके घर के पास “जय श्री राम” के नारे लगाए और आग लगा दी।

गौरतलब है कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं, नागरिकता (संशोधन) कानून के समर्थकों और इसके प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद कम से कम 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए।