उत्तर प्रदेश को एक और एक्सप्रेस-वे का उपहार मिलने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 दिसंबर को शाहजहांपुर जिले में गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना का शिलान्यास करेंगे। इस दौरान वह रेलवे ग्राउंड पर जनसभा को भी संबोधित करेंगे। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 36,230 करोड़ रुपये की लागत से 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना की स्वीकृति पिछले साल 26 नवंबर को दी थी। उत्तर प्रदेश के मेरठ से शुरू होने वाला गंगा एक्सप्रेस-वे देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे होगा। इस एक्सप्रेस-वे पर भी वायुसेना के विमानों के आपातकालीन टेक-ऑफ और लैंडिंग में सहायता के लिए साढ़े तीन किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनाई जाएगी। यह हवाई पट्टी शाहजहांपुर जिले में बनाई जानी है।

गंगा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में मील का पत्थर साबित होने वाला है। पूर्वी उत्तर प्रदेश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक सूत्र में पिरोने वाला गंगा एक्सप्रेस-वे सीधे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से जुड़ेगा। खास बात यह है कि गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए जब भूमि खरीदी जा रही थी, उस समय पूरे देश में कोरोना की लहर पीक पर थी। इसके बावजूद महज एक साल में गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए 83 हजार किसानों से 94 प्रतिशत भूमि खरीदी गई है।

परियोजना के लिए करीब 7386 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें पिछले चार माह में 71,621 किसानों से भूमि खरीदी गई है। अब तक कुल 82,750 किसानों से भूमि की खरीद हुई है। पर्यावरण संरक्षण के लिए एक्सप्रेस वे के किनारे करीब 18,55,000 पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही परियोजना में अधिग्रहित भूमि पर सोलर पावर के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिससे परियोजना के संचालन के लिए आवश्यक ऊर्जा की पूर्ति होगी।

पश्चिमी यूपी के विकास को लगेंगे पंख :

गंगा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आधे से ज्यादा एक्सप्रेस-वे पश्चिम यूपी के मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर जिले से गुजर रहा है। हापुड़ और बुलंदशहर सहित अन्य जिलों के लोगों के आवागमन के लिए गढ़मुक्तेश्वर में एक अन्य पुल बनाया जाएगा। गंगा एक्सप्रेस वे यूपी से पूर्वांचल को कनेक्ट करेगा। यह एक्सप्रेस-वे यूपी के 12 जिलों मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं , शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और रायबरेली से होकर गुजरेगा। एक्सप्रेस-वे 519 गांवों को भी जोड़ेगा।

पर्यटन और उद्योगों की आय को मिलेगा बढ़ावा :

गंगा एक्सप्रेस-वे से सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केंद्रों और कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कारिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेस-वे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडार गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।