अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास चार राज्यों में सरकार बचाने की चुनौती है तो पंजाब में अब तक वह मुख्य मुकाबले में नहीं दिख रही है। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की रैलियों के सहारे पार्टी यहां भी भगवा पार्टी पूरा जोर लगाने जा रही है। नए साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यहां मेगा रैली होगी, जिसके बाद पार्टी यहां अभियान को धार देगी। पंजाब में अब तक अकाली दल के साथ चुनावी अखाड़े में उतरती रही बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई नवेली पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पीएम मोदी पंजाब में कुछ बड़े ऐलान कर सकते हैं, जिस तरह उन्होंने हाल के दिनों में यूपी में कई बड़ी योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किए हैं। पंजाब के लिए योजनाओं और उनके लाभार्थियों का ब्योरा तैयार किया जा रहा है और इसके आधार पर पार्टी सीधे मतदाताओं से अपील करेगी।

पंजाब में अपने पैर जमाने के लिए पार्टी ‘नया पंजाब-बीजेपी दे नाल’ (नया पंजाब बीजेपी के साथ) नारे के साथ उतर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक अकाली दल के साथ जूनियर पार्टनर रही बीजेपी अब कैप्टन अमरिंदर और सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ नए गठबंधन में सीनियर पार्टनर के रूप में उतरने की तैयारी में है। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ”पंजाब में अगली सरकार बीजेपी के बिना नहीं बननी चाहिए।” सूत्रों ने कहा कि बीजेपी 117 विधानसभा सीटों में से 70 पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जबकि अकाली दल से इसे 23 सीटें मिली थीं। अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस को 30-35 सीटें दी जा सकती हैं और मिस्टर ढींढसा की पार्टी को 15 सीटें मिलीं।

शीट शेयरिंग पर चल रही है बात

पिछले महीने कांग्रेस छोड़कर अपनी नई पार्टी बनाने वाले अमरिंदर सिंह ने पिछले सप्ताह कहा कि बीजेपी के साथ गठबंधन हो चुका है, शीट शेयरिंग पर बात अभी जारी है। गठबंधन के ऐलान से पहले दोनों पार्टियों में 9 दौर की बातचीत हो चकी है। भाजपा राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस, अकाली दल और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के छोड़ने वालों को भी शामिल कर सकती है।

कृषि कानूनों की वापसी से फायदे की उम्मीद?

भगवा पार्टी को उम्मीद है कि पीएम मोदी की ओर से कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से किसानों की नाराजगी खत्म हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी का आकलन है कि विकासनों का वोट बंटेगा और कांग्रेस को इसका सबसे अधिक नुकसान होगा। वे कहते हैं, ”कृषि कानूनों की वापसी के बाद पंजाब में स्थिति बदल गई है और बीजेपी नेताओं को अब विरोद का सामना नहीं करना पड़ता है। बीजेपी को अब तक शहरी और हिंदू मतदाताओं की पार्टी के रूप में देखा जाता था, लेकिन वह इस बार उसे अमरिंदर सिंह और सुखदेव ढींढसा के सहारे सिख वोटों की भी उम्मीद है।