रक्षा मंत्रालय ने राफेल लड़ाकू विमान में मिसाइल लगाने वाली यूरोपीय कंपनी एमबीडीए पर करीब 10 लाख यूरो (8.54 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कंपनी के द्वारा समझौते की शर्तो का पालन न करने के कारण लगाया गया है। फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दासौ एविएशन ने राफेल विमान बनाया है जबकि एमबीडीए ने इसमें लगने वाली मिसाइलों की आपूर्ति की है।

भारत सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस की सरकार से 36 राफेल विमान खरीदने का समझौता किया था। 59 हजार करोड़ रुपये के इस समझौते में मिसाइलों और अन्य आधुनिक प्रणालियों से सज्जित विमान भारतीय वायुसेना को मिलना था। समझौते के अनुसार सौदे की 50 प्रतिशत धनराशि का भारत में पुन: निवेश किया जाना है। यह कार्य सितंबर 2019 से सितंबर 2022 के बीच होना है, लेकिन सितंबर 2019 से सितंबर 2020 तक एमबीडीए ने पुन: निवेश के कार्य में देरी की। इसी के कारण भारतीय रक्षा मंत्रालय ने उस पर जुर्माना लगाया। पता चला है कि एमबीडीए ने आरोपित जुर्माना रक्षा मंत्रालय के खाते में जमा करा दिया है, लेकिन कार्रवाई पर विरोध भी व्यक्त किया है। हालांकि, कंपनी ने अपनी आपत्ति को सार्वजनिक नहीं किया है।

रिपोर्ट बुधवार को सार्वजनिक हुई

राफेल विमानों की पहली खेप जुलाई 2019 में भारत आई थी। इसके बाद सितंबर 2019 में कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दासौ एविएशन और एमबीडीए ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की। राफेल विमान सौदे की शर्तो की मुताबिक उच्च तकनीक भारत को हस्तांतरित नहीं की। यह रिपोर्ट बुधवार को सार्वजनिक हुई है। यह रिपोर्ट संसद में पेश हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दासौ एविएशन और एमबीडीए ने सितंबर 2015 में अपनी उच्च तकनीक भारतीय संस्था रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को हस्तांतरित करने का वादा किया था, जो पूरा नहीं किया गया।