उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साथ में कई रैली कर चुके अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की पार्टी के बीच भले ही गठबंधन की बात कही जा रही है, लेकिन सीट को लेकर अभी भी बात फाइनल नहीं हो सकी है। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया गुरुवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले। करीब एक घंटा 40-45 मिनट की इस भेंट के बाद भी ना तो जयंत चौधरी ने सीट को लेकर मीडिया से बात की और ना ही अखिलेश यादव कुछ बोले।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी से लखनऊ में समाजवादी पार्टी के ऑफिस में भेंट ना कर लोहिया ट्रस्ट के कार्यालय में मिले। अखिलेश यादव से लम्बी वार्ता करने के बाद जयंत चौधरी लोहिया ट्रस्ट से पिछले गेट से निकले और नई दिल्ली रवाना हो गए। माना जा रहा है कि सीटों पर पेंच फंसने के कारण ना तो अखिलेश यादव गठबंधन पर कुछ बोलने को तैयार है और ना ही जयंत चौधरी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी अधिक सीट चाहते हैं जबकि उनकी इच्छा उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी के सिंबल पर 40 प्रत्याशी उतारने की है। जयंत चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अमरोहा की नौगांवा सादात, मेरठ की सिवालखास, बिजनौर की चांदपुर, सहारनपुर की गंगोह, बागपत की बड़ौत, मथुरा की मांट व छाता, शामली की थानाभवन, बुलंदशहर शिकारपुर के अलावा मुजफ्फरनगर की चरथावल और मीरापुर सीट चाहते हैं। इन पर सपा और आरएलडी दोनों ही दावेदारी कर रही हैं। यह सभी वह सीट हैं, जिस पर सपा और आरएलडी अपने-अपने सिंबल पर उम्मीदवार उतारना चाहती हैं।
जयंत चौधरी 40 से अधिक सीट चाहते हैं, लेकिन सपा इसमें तैयार नहीं है। गुरुवार को जयंत चौधरी ने फिर अखिलेश से मुलाकात की। माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों में गठबंधन के तहत करीब 36 सीटों पर समझौता हो रहा है। इनमें से कुछ सीटों पर सपा के उम्मीदवार रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि कुछ सीटों पर रालोद के प्रत्याशी सपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरेंगे।