जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है वैसे-वैसे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस भले ही संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने का दावा करती हो लेकिन ऊपरी पंक्ति के नेता उससे दामन छुड़ा रहे हैं। वहीं 2017 में सात सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव जीता था, उनमें से केवल अब प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, आराधना मिश्र मोना और कानपुर देहात के विधायक सोहल अख्तर ही पार्टी के पाले में बचे हैं।
पांच विधायकों के निकल जाने के झटके से पार्टी पश्चिमी यूपी में नेतृत्वविहीन दिख रही है। इस एक हफ्ते में पार्टी के फायरब्रांड नेता इमरान मसूद सपा में शामिल हो चुके हैं। उनके साथ ही सहारनपुर देहात के विधायक मसूद अख्तर भी उनके साथ जा रहे हैं। इसके अलावा सहारनपुर से विधायक नरेश सैनी भाजपा में शामिल हो गए। वहीं पश्चिमी यूपी के कांग्रेस के जाट चेहरे हरेन्द्र मलिक व उनके पुत्र पंकज मलिक अक्टूबर 2021 में समाज पार्टी में जा चुके हैं।
अगर अवध की बात करें तो रायबरेली से विधायक अदिति सिंह और एमएलसी दिनेश सिंह पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं और भाजपा में पहले ही शामिल हो चुके हैं। बीते महीने हरचंदपुर से विधायक राकेश सिंह भी भाजपा के रथ पर सवार हो गए। सिर्फ यही नहीं, कई दशकों से कांग्रेस से जुड़े राजेश पति त्रिपाठी व उनके पुत्र ललितेश पति त्रिपाठी भी कांग्रेस से किनारा कर चुके हैं। वह तृणमूल के टिकट पर इस पर चुनाव में उतरेंगे। बुंदेलखंड में पकड़ रखने वाले हमीरपुर के राठ से पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी, महोबा के मनोज तिवारी और जालौन-उरई से पूर्व विधायक रहे विनोद चतुर्वेदी सपा में शामिल हो चुके हैं तो पुष्पेन्द्र सिंह-बसपा के टिकट पर इस बार चुनाव लड़ेंगे।