तमाम चुनौतियों और विपक्षी सपा के मजबूत मुकाबले के बाद भी भाजपा को फिर इतनी बड़ी जीत मिली है तो इसके पीछे संगठन की रणनीति की महत्वपूर्ण भूमिका रही। चुनाव अभियान शुरू होने के पहले ही भाजपा ने संगठन को सक्रिय करते हुए समाज के हर वर्ग तक दस्तक दे दी थी। यह एक अक्टूबर से आठ जनवरी तक वह सौ दिन थे, जिनमें पार्टी ने कुल सौ कार्यक्रम किए, जिनका असर ईवीएम से निकले परिणाम में 255 सीटों के रूप में नजर आया।

उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए भाजपा ने विभिन्न स्तरों पर रणनीति बनाकर काम किया। कई दौर की बैठकें दिल्ली और लखनऊ में हुई। सितंबर में पार्टी प्रदेश मुख्यालय में हुई कोर कमेटी की बैठक में तय हुआ कि सौ दिन के सौ कार्यक्रम तय किए जाएं। इस पर रूपरेखा बनाई गई कि इन सौ कार्यक्रमों में पहले ऐसी गतिविधियां की जाएंगी, जिनसे संगठन के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता सक्रिय हो जाएं। इनमें सभी विभाग, प्रकोष्ठ और मोर्चों को शामिल करते हुए उन्हें जिम्मेदारी दी गई।

इसके साथ ही ऐसी गतिविधियां रखी गईं, जिनसे समाज के विभिन्न वर्गों को पार्टी से जोड़ने में मदद मिले। एक अक्टूबर को इन कार्यक्रमों की शुरुआत की गई, जो कि आठ जनवरी तक चले। कार्यक्रम कुछ इस तरह चलाए गए कि हर वर्ग से संपर्क और संवाद किसी न किसी गतिविधि के माध्यम से लगातार बना रहा। सौ दिन के इन सौ कार्यक्रमों ने पार्टी के लिए मजबूत नींव बनाई। उसके बाद चुनाव अभियान शुरू हुआ तो पार्टी के बड़े नेताओं ने जनसभा से भाजपा की विजय का माहौल बना दिया।

सौ दिन के कुछ प्रमुख कार्यक्रम

अक्टूबर : प्रदेश सामाजिक नेता सम्मेलन (पिछड़ा व अनुसूचित वर्ग), सदस्यता अभियान : मेरा परिवार, भाजपा परिवार, जनजाति प्रदेश सम्मेलन, मतदाता सूची पुनरीक्षण, क्षेत्रीय चिकित्सक सम्मेलन, मंडल अध्यक्ष व प्रभारियों की क्षेत्रीय बैठक, सोशल मीडिया-आइटी कार्यशाला, जिला उद्यमी बैठक, वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ द्वारा एक हजार पार्क सभा व एक हजार मंदिर सभा, मजदूर चौपाल, मिशन शक्ति, किसान शक्ति संवाद।

लघु उद्यमी सम्मेलन, प्रदेश सहकारिता सम्मेलन, पार्षद सम्मेलन, निषाद समाज सम्मेलन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रदेश सम्मेलन, बूथ अध्यक्ष सम्मेलन, कमल शक्ति संवाद, कारीगर-बुनकर सम्मेलन, क्षेत्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम, क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान सम्मेलन, युवोत्थान अभियान, किसान ट्रैक्टर रैली, महिला चौपाल, धम्म सभा, लाभार्थी संपर्क अभियान।