शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। इस दौरान अदालत ने एकनाथ शिंदे के वकील से पूछा कि आखिर इस मामले में पहले हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। इस पर शिंदे के वकील ने कहा कि यह मामला गंभीर है और विधायकों को मारने तक की धमकियां मिल रही हैं। इसलिए हमने शीर्ष अदालत का रुख किया है। वकील ने कहा कि अदालत चाहे तो फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकती है। उन्होंने कहा कि 2019 में सर्वसम्मति से एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल का नेता चुना गया था, लेकिन बिना प्रक्रिया का पालन किए उन्हें हटा दिया गया।

एकनाथ शिंदे के वकील ने सुनवाई के दौरान संजय राउत की ओर से धमकी दिए जाने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि डिप्टी स्पीकर ने 15 विधायकों को नोटिस भेजकर 2 दिन में जवाब मांगा है, जबकि कम से कम 14 दिनों का वक्त मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ही पहले भी साफ कर चुका है कि जरूरी वक्त दिया जाना चाहिए। शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नोटिस असंवैधानिक है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि डिप्टी स्पीकर के नोटिस से आपत्ति है तो आपने उनसे ऐतराज क्यों नहीं जताया। अदालत के इस सवाल पर एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा, ‘विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया है। ऐसे में उनके आगे कैसे इस पर दलील दी जा सकती है।’

बहुमत गुवाहाटी में है तो कैसे लिया डिप्टी स्पीकर ने लिया फैसला

वकील ने कहा कि पार्टी के ज्यादातर विधायक तो गुवाहाटी में ही हैं। ऐसे में कैसे उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए डिप्टी स्पीकर ने अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस जारी कर दिया। केस की सुनवाई के दौरान अरुणाचल प्रदेश के मामले का भी जिक्र हुआ। वकील ने कहा कि स्पीकर ने जब भी अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया गया, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दिया है। एकनाथ शिंदे गुट ने कहा कि पहले तो डिप्टी स्पीकर की स्थिति पर ही फैसला होना चाहिए। उसके बाद ही उनकी ओर से की गई किसी कार्यवाही पर बात की जा सकती है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने शिवसेना की तरफ से दीं दलीलें

एकनाथ शिंदे गुट की दलीलों पर शिवसेना के वकील के तौर पर पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस केस में पहले हाईकोर्ट का ही रुख करना था, लेकिन मीडिया में यह केस इतना चर्चित हो गया है कि जान की धमकी की बात करते हुए वे सीधे सुप्रीम कोर्ट में ही आ गए हैं।