यूपी में खोई राजनीतिक जमीन वापस पाने के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती आने वाले निकाय चुनाव में नया दांव आजमा सकती हैं। वह चाहती हैं कि निकाय चुनाव होने वाली मेहनत से मिलने वाली संजीवनी लोकसभा चुनाव में काम आए। इसीलिए मेयर चुनाव में पूर्व सांसदों और विधायकों पर दांव लगाने पर मंथन चल रहा है। बीएसपी को भरोसा है कि इससे यूपी में दरक रहे जनाधार को फिर से कायम कर चुनावों में अपेक्षाकृत सफलता न मिलने से आई कमजोरी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दूर किया जा सकेगा।
खोया जनाधार पाने की चाहत
अनुसूचित जाति और जनजाति के सहारे यूपी में राजनीति करने वाली बसपा के पिछले कुछ चुनावी नतीजों पर नजर डाला जाए तो यह खिसकता हुआ नजर आ रहा है। इसका अंदाजा वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली सीटों से लगाया जा सकता है। इस चुनाव में बसपा को मात्र एक सीट रसड़ा बलिया के रूप में मिली। बसपा सुप्रीमो इस जनाधार को वापस पाने के लिए संगठन को नए सिरे से दुरुस्त करने में जुटी हुई हैं। सदस्यता अभियान भी चला रही हैं। निकाय चुनाव मजबूती से लड़ने की पीछे भी यही वजह है।
लोकसभा में होगी दावेदारी मजबूत
बसपा प्रदेश की 17 सीटों पर मेयर चुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सेक्टर प्रभारियों से रिपोर्ट भी मांगी गई है। पूछा गया है कि उनके यहां ऐसे कितने नेता हैं, जो मेयर का चुनाव लड़ना चाहते हैं। बसपा सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर उम्मीदवारी तय की जाएगी। निकाय चुनाव में बेहतर रिजल्ट देने वाले की लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए दावेदारी मजबूत होगी।
मेयर की सीटें महत्वपूर्ण
निकाय चुनाव में मेयर की सीटें काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। सांसदी चुनाव के बराबर मतदाता एक मेयर को चुनते हैं। इसीलिए पार्टियां इस चुनाव को प्रतिष्ठा का चुनाव मानती हैं।
जमीन होगी तैयार
बसपा को वर्ष 2017 के निकाय चुनाव में अप्रत्याशित जीत मिली थी। अलीगढ़ में फुरकान और मेरठ में सुनीता वर्मा चुनाव जीती और सहारनपुर में बसपा ने भाजपा को करारी टक्कर दी। भाजपा को यहां 121179 वोट मिले और बसपा को 119193 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही। इसीलिए बसपा पिछली बार की अपेक्षा इस बार और मजबूत रणनीति पर काम कर रही है।