गुजरात विधान सभा चुनाव में बीजेपी के दो उम्मीदवारों पर विपक्षी सवाल उठा रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी गुजरात दंगों के दोषियों को इनाम दे रही है। बीजेपी ने नरोदा से पायल कुकरानी को मैदान में उतारा है। पायल पेशे से डॉक्टर हैं और पहली बार चुनावी मैदान में उतरी हैं। उन्हें मौजूदा विधायक का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया है।
पायल के पिता मनोज कुकरानी नारोदा पाटिया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं। 2015 से वह जमानत पर जेल से बाहर हैं और फिलहाल बेटी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नरोदा के मौजूदा विधायक बलराम थवानी समेत कई बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मनोज कुकरानी का लड्डुओं से स्वागत किया है।
नरोदा में 2002 के गुजरात दंगों के दौरान भयानक हत्याकांड हुआ था। इस मामले में 2012 में अदालत ने 32 लोगों को सजा सुनाई थी। मनोज कुकरानी समेत सभी दोषियों पर 97 लोगों की हत्या का आरोप साबित हुआ था। कुकरानी के पड़ोसियों के मुताबिक सजा होने के बाद भी वह अक्सर जमानत पर बाहर आते रहे हैं।
पायल ने इस पर कहा कि उनके पिता को मिली सजा के आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती दी गई है और वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती हैं। कुकरानी परिवार की दलील है कि नारोदा केस में उनका कोई गुनाह नहीं है। विपक्षी आम आदमी पार्टी के नरोदा से उम्मीदवार ओमप्रकाश ने आरोप लगाया है कि गुजरात दंगों के दोषियों को बीजेपी ने इनाम दिया है।
बीजेपी ने गोधरा से चंद्रसिंह कनकसिंह राउलजी को टिकट दिया है। राउलजी वही शख्स हैं, जिन्होंने बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों को ‘संस्कारी’ कहा था। ये गोधरा से बीजेपी के विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री हैं। चंद्रसिंह कनकसिंह राउलजी राज्य सरकार की उस समिति का हिस्सा थे जिसने सर्वसम्मति से गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था।