यूक्रेन युद्ध पर दुनिया बंटी हुई है और इसका नजारा इंडोनेशिया के बाली में हो रही जी-20 समिट में भी देखने को मिला है। इस समिट में भारत समेत अमेरिका, रूस, चीन जैसे बड़े देश भी शामिल हैं। इस समिट के समापन घोषणापत्र में रूस की आलोचना करने का प्रस्ताव पश्चिमी देशों की ओर से रखा गया था, जो गिरता दिख रहा है। भारत के अलावा चीन, रूस, ब्राजील, सऊदी अरब और खुद मेजबान इंडोनेशिया ने विरोध किया है। अमेरिका, यूरोप समेत कई पश्चिमी देशों की ओर से रूस की निंदा को लेकर प्रस्ताव लाया गया था। फिलहाल जी-20 समिट के फाइनल डिक्लेरेशन को लेकर बातचीत चल रही है। लेकिन भारत, चीन, इंडोनेशिया जैसे देशों ने रूस का समर्थन करते हुए इसका विरोध किया है।
पूरे मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि इंडोनशिया के राष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने पश्चिमी देशों से अपील की है कि वे रूस के खिलाफ इतनी निंदात्मक और सख्त भाषा का इस्तेमाल न करें। यूक्रेन में रूस के हमले को लेकर पश्चिमी देशों और भारत, इंडोनेशिया, चीन जैसे एशियाई देशों के बीच मतभेद रहे हैं। यही नहीं बीते कुछ महीनों से तो सऊदी अरब भी रूस के ही पाले में जाता दिखा है। सऊदी अरब ने रूस के साथ मिलकर तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है, जबकि अमेरिका की ओर से इसका विरोध किया गया है।
साफ है कि रूस का समर्थन कई बड़े देशों की ओर से लगातार किया जा रहा है, जबकि अमेरिका को अब यूरोपीय देशों का ही समर्थन हासिल है। इस जी-20 समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नहीं आ रहे हैं और उनकी जगह पर विदेश मंत्री सेरगे लावरोव हिस्सा ले रहे हैं। गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने आज जी-20 समिट को संबोधित करते हुए शांति की अपील की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के मसले को हमें कूटनीतिक ढंग से हल करना होगा। उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार यह इतना बड़ा संकट है। हमें भी अपने दौर की भूमिका अदा करनी होगी और इस संकट से निपटना होगा।