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ममता बनर्जी ने कहा, सिर्फ तृणमूल कांग्रेस ही ‘डबल इंजन’ सरकार को सत्ता से बाहर कर सकती है

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मंगलवार को केंद्र की राजनीति को लेकर अपने इरादे जाहिर कर दिए। ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी एकमात्र दल है जो भारतीय जनता पार्टी की ‘डबल इंजन’ की सरकार को सत्ता से बाहर कर सकती है और देश के लोगों को बीजेपी का विकल्प मुहैया करा सकती है। अगरतला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने दावा किया कि बीजेपी के शासन में त्रिपुरा में लोकतंत्र को पीछे धकेल दिया गया।

‘त्रिपुरा में हमाले वर्कर्स पर हमला किया गया’

ममता ने कहा, ‘त्रिपुरा में पार्टियों को राजनीतिक बैठकें आयोजित करने की इजाजत नहीं है और पत्रकारों को भी काम नहीं करने दिया जा रहा। 2 साल पहले हमारी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया, उनकी गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। उनमें से कुछ को अवैध रूप से सलाखों के पीछे डाल दिया गया। राज्य में लोकतंत्र की हालत खराब है और हमारे नेताओं और सदस्यों को गलत कार्यों का विरोध करने के लिए यातना दी गईं।’ ममता ने सूबे की सरकार पर मंच से जमकर निशाना साधा।

‘CPM-कांग्रेस गठबंधन को जनता करेगी खारिज’
बीजेपी पर निशाना साधते हुए ममता ने कहा कि जो पार्टी लोगों को 100 दिन के काम की गारंटी नहीं दे सकता है, उसे वोट मांगने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘तृणमूल एकमात्र ऐसी पार्टी है जो देश से डबल इंजन सरकार को सत्ता से बाहर कर सकती है और लोगों को विकल्प दे सकती है।’ ममता ने यह भी कहा कि त्रिपुरा के लोग आगामी चुनाव में CPM-कांग्रेस गठबंधन को ‘खारिज’ कर देंगे जैसे लोगों ने बंगाल में किया था। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा और बंगाल में भाषा, संस्कृति और खान-पान सहित बहुत कुछ समान है।

‘हम लड़ाई में बलिदान देने के लिए तैयार हैं’
उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर उनका दल सत्ता में आता है तो विकास की वही योजनाएं त्रिपुरा में भी शुरू की जाएंगी जो फिलहाल बंगाल में उपलब्ध हैं। बता दें कि ममता सरकार की लक्ष्मी भंडार और कन्याश्री जैसी योजनाएं बंगाल में काफी लोकप्रिय हैं। बनर्जी ने कहा, ‘हम राज्य में अकेले चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि हम गठबंधन करने के लिए समझौता नहीं करने चाहते थे। हम लड़ने के लिए और इस लड़ाई में बलिदान देने तक को तैयार हैं।’ माना जा रहा है कि ममता का यह रवैया उन विपक्षी दलों की टेंशन बढ़ा सकता है जिनके नेता केंद्र में अपने लिए बड़ी भूमिका देख रहे हैं।

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