उत्तर प्रदेश का रसूखदार सियासी घराना खान परिवार अब अपने अस्तित्व की जंग लड़ता नजर आ रहा है। एक ओर जहां समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को दो साल की जेल हुई है। वहीं, बेटे अब्दुल्ला भी विधायक पद गंवाने की कगार पर हैं। केवल इतना ही नहीं आजम परिवार अपने करीबियों के अलग होने, चुनाव हारने जैसी कई परेशानियों से घिरा हुआ है।
कहां से हुई शुरुआत और अब क्या हैं हाल
कहा जाता है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नफरती भाषणों के बाद से ही आजम खान की परेशानियों की शुरुआत हो गई थी। उन्होंने कथित तौर पर डीएम और अन्य अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे। मामला दर्ज हुआ और यह सिलसिला तब से ही जारी है।
आंकड़े बताते हैं कि आजम के खिलाफ 83 मामले दर्ज हैं। वहीं, अब्दुल्ला 41 मामलों का सामना कर रहे हैं। दोनों के खिलाफ ये केस जमीन हड़पने, धोखाधड़ी जैसे कई आरोपों के तहत दर्ज किए गए हैं।
26 फरवरी 2020 को आजम, पत्नी तनजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला ने रामपुर की स्थानीय अदालत में सरेंडर कर दिया था। तनजीन दिसंबर 2020 में रिहा हुईं। जबकि, अब्दुल्ला जनवरी 2022 में बाहर आए। दिग्गज नेता आजम को जेल से बाहर आने में 27 महीने लग गए। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में उनकी जमानत मंजूर की थी।
सियायी वजूद की जंग
आजम खान को बीते साल अक्टूबर में ही रामपुर सदर सीट विधायक पद और मतदान का अधिकार गंवा चुके हैं। इधर, अब्दुल्ला की सुआर सीट भी हाथों से खिसक रही है। 4 दशक से ज्यादा समय में आजम परिवार पहली बार ऐसे हालात का सामना करने जा रहा है, जहां घर का एक भी सदस्य सांसद या विधायक नहीं होगा।
साथ छोड़ते साथी
आजम को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की आलोचना कर चुके फसाहत अली खान उर्फ शानू ने भी बीते साल बड़ा कदम उठाया। दिसंबर 2022 में वह भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद रामपुर सदर उपचुनाव में भी आजम खान को झटका लगा और भाजपा के उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने जीत हासिल कर ली।