महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के समर्थकों के बीच झड़प का मामला सामना आया है। पुलिस ने बताया कि शुक्रवार शाम रत्नागिरी जिले के दापोली में शिवसेना के एक कार्यालय को लेकर पार्टी के दोनों गुटों के समर्थक आपस में भिड़ गए। यह घटना चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दिए जाने के कुछ घंटे बाद हुई। पुलिस अधिकारी ने कहा कि शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं ने दापोली में शिवसेना के दफ्तर पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके कारण हाथापाई हुई। इसके कारण कुछ देर के लिए इलाके में तनाव पैदा हो गया, लेकिन पुलिस ने हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रण में किया।
पवार ने उद्धव को दी यह सलाह
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि ‘धनुष और बाण’ चुनाव चिह्न खो जाने से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि लोग उनके नए चुनाव चिन्ह को स्वीकार करेंगे। पवार ने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1978 में नया चुनाव चिह्न अपनाया था, लेकिन इसका पार्टी पर कोई असर नहीं हुआ था। पवार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे मूल ‘धनुष और बाण’ चिन्ह देने के चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
एनसीपी प्रमुख ने ठाकरे समूह को सलाह दी कि एक बार फैसला हो जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती है। इसे स्वीकार करें, एक नया चुनाव चिह्न लें। इसका (पुराने चुनाव चिह्न के नुकसान का) कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने याद दिलाया कि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था।