गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह गोधरा कांड के 11 दोषियों को मौत की सजा दिलाने के प्रयास करेगी। बता दें कि गोधरा कांड के दोषियों को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। सुप्रीम कोर्ट गोधरा कांड के कई आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने आरोपियों की जमानत पर सुनवाई के लिए तीन हफ्ते बाद का समय दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों से इस दौरान एक चार्ट फाइल करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें आरोपियों द्वारा जेल में बिताए गए समय और उन्हें दी गई सजा की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।

गुजरात सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि हम गंभीर कोशिश करेंगे कि दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। यह दुर्लभतम से दुर्लभ मामला है, जहां 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। रेल की बोगी को बाहर से बंद किया गया और उसमें आग लगा दी गई। जिससे 59 लोगों की मौत हो गई।

बता  दें कि गोधरा कांड में ट्रायल कोर्ट ने 11 दोषियों को मौत की सजा और 20 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। जहां से हाईकोर्ट ने 11 आरोपियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दोषियों को मौत की सजा देने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड के दो दोषियों को जमानत दे दी है। सात और जमानत याचिकाएं अभी लंबित हैं।

अब्दुल रहमान धंतिया और अब्दुल सत्तार, इब्राहिम गद्दी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। राज्य सरकार द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आरोपियों की भूमिका सिर्फ पत्थरबाजी तक सीमित नहीं थी। आरोपियों ने बॉगी को बाहर से बंद करके उसमें आग लगा दी तो फिर यह सिर्फ पत्थरबाजी कैसे हो सकती है! सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल गोधरा कांड के दोषी फारुख को उम्रकैद की सजा मिलने के 17 साल बाद जमानत दी थी।