कार्यक्रम था चतुर्थ कृषि रोड मैप पर किसान समागम के उद्घाटन का। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक-एक कर प्रगतिशील किसानों से उनके अनुभव सुन रहे थे। सलाह को नोट भी कर रहे थे। लेकिन, फिर एक मशरूम उत्पादक किसान को सुनते-सुनते नीतीश भौंचक हो गए। कुछ देर भौंचक रहे। फिर जैसे ही युवक ने अल्प-विराम लिया, नीतीश बोले। ऐसे बोलने लगे कि कुछ देर पहले अंग्रेजीदां हिंदी बोल रहे युवा किसान की स्मार्टनेस गायब हो गई। उसे किसान समागम और बिहार, भारत के हिसाब से बोलने की सीख दे डाली मुख्यमंत्री ने।

सीएम पूछ बैठे- इंग्लैंड है? बताया- यह बिहार है 
मुख्यमंत्री ने युवक के अल्प-विराम लेते ही टोका- “एक बात जरा हम कहना चाहेंगे। यह क्या है! बिहार है ना जी! आप लोग जितना बोल रहे हैं, अंग्रेजी शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। यह हो क्या गया है? आप अपने राज्य के, अपने देश के हिंदी शब्द को भूल जाइएगा! आश्चर्य लग रहा है कि बिना मतलब के अंग्रेजी बोल रहे हैं! जब आप खेती करते हैं तो खेती तो आम आदमी करता है। आपको यहां बुलाया गया सुझाव देने के लिए। आप आधा से ज्यादा अंग्रेजी बोल रहे हैं। इंग्लैंड है? यह भारत है ना जी। अब बोलिए बिहार है ना? हम देख रहे हैं कि यह हो क्या गया है। जबसे कोरोना आया है, तब से एक चीज जो हो गया है। मोबाइल देखने लगा है सब। अपनी पुरानी भाषा को भूल रहा है। नया-नया शब्द बोल रहा है। नया-नया शब्द बोल रहा है। इसलिए जरा बोलिए ठीक से। बोल ठीक रहे हैं, लेकिन जरा राज्य की भाषा में बोलिए ना। हर चीज में अब बोल दे रहे हैं अंग्रेजी…यह ठीक नहीं है।

इन शब्दों को सुनकर चिढ़ गए थे नीतीश
मुख्यमंत्री बिहार के आम किसानों के बीच थे। एक किसान के अनुभव का फायदा दूसरे किसान को मिले, इसके लिए बात हो रही थी। इसी बीच एक मशरूम उत्पादक किसान ने अपने संबोधन में अंग्रेजी शब्दों की बौछार कर दी। सपोर्ट मिला, रिसर्च करना स्टार्ट किया, थ्रू ट्रेनिंग के दौरान, ट्रेनिंग को एक्सटेंड किया, मशरूम प्रोडक्शन का काम, प्रॉब्लम फेस किया, प्रॉब्लम बताना चाहूंगा, सॉल्यूशन सजेस्ट करना चाहूंगा, उत्पादन में जो प्रॉब्लम आ रहा, इन्सेंटिवाइज किया जाए, इन्सेंटिवाइज मॉडल लाया जाए, ट्रेनिंग के बाद क्या स्कीम है, इन्सेंटिवाइजेशन मॉडल इनवॉल्व किया, प्रोडक्शन को कन्ज्यूम कितना किया, रीयल डाला…आदि सुनकर अंत जैसे ही अल्प-विराम लिया तो मुख्यमंत्री ने सीख दे डाली।