भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर जारी वार्ता को आगे बढ़ाने और अगली द्विपक्षीय आर्थिक और वित्तीय बातचीत को जल्द करने के लिए दोनों देश सहमत हो गए हैं। ब्रिटिश सरकार ने यह बात कही है। भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में सातवें चरण की वार्ता पूरी हुई है। भारत की अध्यक्षता में जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक के समापन में ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरेमी हंट पहुंचे थे। उन्होंने यहां भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वार्ता में द्विपक्षीय आर्थिक और वित्तीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। ब्रिटेन के वित्त विभाग ने शनिवार को कहा, “वित्त मंत्री सीतारमण से वार्ता के दौरान दोनों पक्ष ब्रिटेन-भारत एफटीए पर और द्विपक्षीय आर्थिक और वित्तीय संबंधों को और मजबूत करने पर राजी हुए।” विभाग ने कहा, “वे अगली ब्रिटेन-भारत आर्थिक और वित्तीय वार्ता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सहमत हो गए हैं।” ब्रिटेन के वित्त मंत्री के रूप में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय दौरे के दौरान हंट ने बेंगलुरु में व्यापारिक नेताओं से मुलाकात की और बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो के कार्यालयों का दौरा किया। ब्रिटेन में विप्रो में लगभग चार हजार लोग नौकरी करते हैं।

ऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का मसौदा लगभग तैयार होने को है। दोनों देश एफटीए पर पुराने विवाद को सुलझाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। इससे उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही एफटीए को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके बाद दोनों देशों के व्यापार क्षेत्र में प्रगति का रास्ता साफ हो जाएगा। द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ब्रिटेन के साथ बातचीत पिछले साल 13 जनवरी को शुरू हुई थी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 13.2 अरब डॉलर की तुलना में 2021-22 में बढ़कर 17.5 अरब डॉलर हो गया। 2021-22 में भारत का निर्यात 10.5 अरब डॉलर था, जबकि आयात सात अरब डॉलर था।

एफटीए जल्द हो सकता है शुरू

भारत सरकार के अनुसार हमें संवेदनशील मुद्दों को अपनी चर्चाओं को बाधित नहीं करने देना चाहिए। कुछ समय पहले ‘द टाइम्स’ के साथ साक्षात्कार में ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने ब्रेक्जिट के बाद ऑस्ट्रेलिया के साथ ब्रिटेन के एफटीए और भारत के साथ प्रस्तावित समझौते के बीच किसी भी बड़ी समानता से इनकार किया था। तब भारत ने कहा था कि सार्वजनिक समारोहों में एफटीए पर कभी भी बातचीत नहीं की जाती है, और ये समझौते ‘गंभीर’ कार्य हैं जो अधिकारियों और उच्च राजनीतिक स्तर पर होते हैं। इनमें जब जरूरत होती है, बातचीत की जाती है। अब इसे लगभग हरी झंडी मिल गई है।