समाजशास्त्र में अब लखनऊ और प्रदेश के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। ये बदलाव नई शिक्षा नीति के तहत किए गए हैं। पाठ्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) का समाजशास्त्र विभाग अब सिर्फ भारतीय समाज की बात नहीं करेगा। लखनऊ, अवध व यूपी का समाज भी उसके पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। विवि के समाजशास्त्र विभाग ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। अभी तक समाजशास्त्र में विभिन्न अवधारणाओं के साथ ही भारतीय समाज और उसमें होने वाले बदलाव का ही अध्ययन किया जाता था। पर नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय विशिष्टताओं को भी सिलेबस का हिस्सा बनाया जाना है।

लविवि देश में पहला विश्वविद्यालय है जिसने अपने यहां नई शिक्षा नीति लागू की है। इसमें स्नातक पाठ्यक्रम चार वर्ष का है। लविवि ने यह भी अपने यहां लागू कर दिया था, लेकिन कई बिंदुओं को अभी इसमें शामिल किया जाना बाकी था।

ऐसे में लविवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय पाठ्यक्रम को पूरी तरह से नई शिक्षा नीति के हिसाब से करने का निर्देश दिया है। इसके तहत विभागों ने अपने सिलेबस में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बोर्ड ऑफ स्टडीज से पाठ्यक्रम तैयार होने के बाद फैकल्टी बोर्ड, एकेडमिक काउंसिल से पास होकर अंतिम मुहर के लिए कार्य परिषद के सामने रखे जाएंगे।

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समाजशास्त्र क्षेत्रीय विषय
समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डीआर साहू के अनुसार भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। हर प्रदेश अपने आप में अलग संस्कृति रखता है। यूपी भी विभिन्न क्षेत्रों के हिसाब से तमाम संस्कृतियां समेटे हुए है। अभी तक समाजशास्त्र में सिर्फ भारतीय समाज की बात होती है। जबकि यह क्षेत्रीय विषय है। क्षेत्र के हिसाब से समाज में परिवर्तन होते हैं। नई शिक्षा नीति में यही बात कही गई है। इसी के तहत अब चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है।

तैयार होगा 10 साल का विजन डॉक्यूमेंट
नई शिक्षा नीति के तहत लिविवि अपना विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेगा। इसके लिए विवि ने विशेष समिति का गठन किया है। इसमें विवि को यह बताना होगा कि अगले दस साल में वह शैक्षणिक स्तर को कहां पर दिखेगा। इस संबंध में राजभवन से निर्देश मिले हैं। छह मार्च तक विवि को अपनी रिपोर्ट भेजनी है। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि कुलपति के निर्देश पर विवि में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम अपडेट करने के लिए समिति का गठन किया गया है। समिति नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव करेगी।

लविवि का समाजशास्त्र विभाग देश में तीसरा
विभाग के शिक्षक डॉ. पवन मिश्रा ने बताया कि लविवि में समाजशास्त्र की पढ़ाई का इतिहास काफी पुराना है। शुरुआत में समाजशास्त्र को अर्थशास्त्र का अंग माना जाता था। 1914 में सबसे पहले बंबई विवि में समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में पढ़ाने की शुरुआत हुई। 1917 में कलकत्ता विवि में समाजशास्त्र विभाग बनाया गया। इसके बाद तीसरे नंबर पर लविवि ने 1921 से इसकी पढ़ाई शुरू की।