मथुरा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले पीयूष हमेशा एक उद्यमी बनना चाहते थे। उनका सपना किसी तरह अपना कारोबार शुरू करना था।

मथुरा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले पीयूष हमेशा एक उद्यमी बनना चाहते थे। उनका सपना किसी तरह अपना कारोबार शुरू करना था। भले ही पीयूष ने अपनी पढ़ाई एमबीए में पूरी करने के बाद एक एमएनसी के लिए काम किया पर वह अपने काम से संतुष्ट नहीं था। 2020 में, COVID-19 महामारी के प्रकोप से देशव्यापी प्रतिबंध लगाए गए थे और इसी बीच पीयूष की नौकरी भी चली गई और उसे मथुरा में अपने माता-पिता के घर लौटना पड़ा।

पीयूष कहते हैं, ”लॉकडाउन के दौरान, मैं अपने करियर को लेकर बेहद चिंतित था, मैं कुछ भी नहीं कमा रहा था। ऐसी परिस्थितियों ने मुझे उन सभी चीजों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया जिनमें मैं अच्छा था। मुझे अपनी जीविका के लिए कुछ करना था।’’

इस तरह के प्रश्नों और चिंताओं ने पीयूष के मन में एक नया दृष्टिकोण पैदा किया और उनका पुराना उद्यमशीलता का सपना एक बार फिर उभरने लगा।

अपने सपने को पूरा करने के लिए पीयूष ने नए अवसरों की तलाश शुरू कर दी। उसने महसूस किया कि वह एक ऐसे शहर में रहते हैं जो सदियों से एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, और यहां पर पूजा संबंधित उत्पादों की मांग है।

पीयूष ने बताया, ”मैंने देखा कि मेरे आसपास बहुत सारे मंदिर हैं और यहां पर बहुत सारे उत्पाद – जैसे सुगंधित अगरबत्ती, धूपबत्ती और पूजा के सामान की काफी डिमांड है। मेरा मानना है कि भारत के बाजारों में इन उत्पादों की हमेशा मांग रहेगी।”

पीयूष अपने इस विचार पर एकदम सही था और उसने बिल्कुल नए सिरे से अपना नया व्यवसाय शुरू किया। अपने माता-पिता की मदद से, उसने शुरुआत में इन उत्पादों को स्थानीय स्तर पर बेचने का काम किया है। साथ ही उन्होंने घर पर उत्पाद बनाना भी शुरू किया। कुछ महीनों के बाद उन्होंने महसूस किया कि वह अपने ग्राहकों की संख्या का विस्तार करना चाहते हैं, और उन्होंने सोचा कि क्यों न ऑनलाइन बिक्री की जाए।

बहुत जल्द ही, उन्होंने अक्टूबर 2020 में फ्लिपकार्ट के साथ मिलकर शंख स्टोर नाम से अपना ऑनलाइन वेबसाइट शुरू किया। पीयूष कहते हैं, ‘फ्लिपकार्ट पर अपना कारोबार शुरू करने के बाद से मेरे पास देश के हर हिस्से से ऑर्डर आने शुरू हो गए। जितना मैं एक पूरे महीने में कमाता था, अब मैं एक सप्ताह में उससे अधिक कमाता हूँ!”

पीयूष ने अपने व्यवसाय में जो सफलता देखी, वह आज भी उनके विकास को प्रेरित कर रही है। जिस पीयूष ने अपने छोटे से व्यवसाय को सक्रिय रूप से निवेश करके घर पर शुरू किया था, अब उसी पीयूष ने एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी स्थापित कर ली है।

पीयूष के पिता बालकृष्ण अग्रवाल कहते हैं, ”मैं अपने बेटे के काम से बहुत खुश हूं और मैं उसके फैसले पर कायम हूं।’

पीयूष ने एक उद्यमी बनकर अब तक जो हासिल किया है, उस पर उसे गर्व है, और अब वो सिर्फ यही पर नहीं रुकेगा।

पीयूष कहते हैं, ‘मैं इस बिजनेस को उस मुकाम तक ले जाना चाहता हूं, जहां मैं हर महीने एक करोड़ रुपये से ज्यादा कमा सकूं और मैं अपने इस उत्पादों को देश के हर घर तक पहुंचते हुए देखना चाहता हूं।’