सुवेंदु अधिकारी ने कहा, नंदीग्राम आंदोलन किसी पार्टी विशेष का नहीं बल्कि स्थानीय लोगों का आंदोलन था। यह नंदीग्राम के गरीब लोगों के संघर्ष की एक साहसिक कहानी है, जिन्होंने तत्कालीन ताकतवर वाम मोर्चे के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।

मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन की 16वीं वर्षगांठ है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा इस आंदोलन की विरासत पर दावा कर रहे हैं। इसकी चलते दोनों प्रमुख दलों के बीच मंगलवार को टकराव हो गया। विपक्षी नेता शुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में आंदोलन की बरसी पर भाजपा ने नंदीग्राम इलाके में रैलियों का आयोजन किया। साल 2007 में पुलिस की गोलीबारी में 14 भूमि अधिग्रहण विरोधी प्रदर्शनकारी मारे गए थे।

गरीबों के संघर्ष की कहानी है नंदीग्राम आंदोलन: अधिकारी
अधिकारी ने कहा, नंदीग्राम आंदोलन किसी पार्टी विशेष का नहीं बल्कि स्थानीय लोगों का आंदोलन था। यह नंदीग्राम के गरीब लोगों के संघर्ष की एक साहसिक कहानी है, जिन्होंने तत्कालीन ताकतवर वाम मोर्चे के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।  गोकुलनगर में पुलिस कार्रवाई में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने परोक्ष रूप से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ओर इशारा करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से एक राजनीतिक दल को इस जन आंदोलन से लाभ मिला।

जिम्मेदार आईपीएस अफसरों को पदोन्नत करने का आरोप
नंदीग्राम के विधायक अधिकारी ने उन आईपीएस अधिकारियों को पदोन्नत करने के लिए ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा, जो इस घटना के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार थे, जबकि उन्हें राजनीतिक आंदोलन का सबसे बड़ा लाभार्थी बताया। शुवेंदु अधिकारी 2021 के विधानसभा चुनावों से पहले टीएमसी से भगवा खेमे में शामिल हो गए थे।

‘नंदीग्राम दिवस’ मना रहे जिम्मेदार पुलिस अधिकारी
उन्होंने कहा, मैं नंदीग्राम के लोगों के द्वारा किए गए बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए 2008 से हर साल यहां आता हूं। विडंबना यह है कि जिन लोगों ने नंदीग्राम नरसंहार के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को पदोन्नति दी है, वे अब नंदीग्राम दिवस मना रहे हैं।

टीएमसी की मंत्री ने भी किया नंदीग्राम का दौरा
वहीं, टीएमसी की वरिष्ठ नेता और मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने मंगलवार सुबह नंदीग्राम का दौरा किया और शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की और उनके परिवारों से मुलाकात की। टीएमसी 2011 में पश्चिम बंगाल में सत्ता में आने के बाद से 14 मार्च को ‘नंदीग्राम दिवस’ के रूप में मनाती है, ताकि 2007 में क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों को श्रद्धांजलि दी जा सके।

चंद्रिमा भट्टाचार्य ने सुवेंदु अधिकारी पर किया पलटवार
उन्होंने अधिकारी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, हमें नंदीग्राम के आंदोलन को लेकर गद्दारों से सबक लेने की आवश्यकता नहीं है। अगर ममता बनर्जी नहीं होतीं तो नंदीग्राम आंदोलन नहीं होता। इसलिए जो लोग नंदीग्राम की विरासत को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, वे जन आंदोलन का अपमान कर रहे हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा नेता और उनका परिवार उस आंदोलन का ‘सबसे बड़ा लाभार्थी’ है जिसका नेतृत्व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने किया था।

14 मार्च बंगाल के इतिहास का एक काला दिन: ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया कि 14 मार्च बंगाल के इतिहास में एक काला दिन है। यह बंगाल के असहाय किसानों, नंदीग्राम के 14 शहीदों और अनगिनत ग्रामीणों पर बर्बर हमलों की याद दिलाता है, जो राज्य प्रायोजित हिंसा के शिकार हुए थे। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल देश के शीर्ष कृषि उत्पादकों में से एक है और इसने देश के किसानों को सशक्त बनाया है।

मुख्यमंत्री बनर्जी का दावा- अग्रणी कृषि राज्य के रूप में उभरा राज्य
उन्होंने आगे कहा, 16 साल बाद बंगाल एक ऐसे अग्रणी कृषि राज्य के रूप में उभरा है जो अपने किसानों को सशक्त बनाता है और उन्हें सम्मानित जीवन जीने में सक्षम बनाता है। नंदीग्राम दिवस हमारी अदम्य लड़ाई की भावना और राज्य के प्रत्येक निवासी को सुरक्षित करने के अविश्वसनीय उत्साह का एक साहसिक प्रमाण है।

आंदोलन के दौरान बनर्जी के वफादार थे सुवेंदु अधिकारी
तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के नंदीग्राम और सिंगूर में कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ बनर्जी ने विपक्ष के नेता के रूप में आंदोलन में हिस्सा लिया था और उसका नेतृत्व किया था। अधिकारी तब नंदीग्राम में उनके भरोसेमंद करीबियों में से एक थे। उनकी पार्टी टीएमसी ने 2008 में पंचायत की 50 फीसदी सीटें जीतकर, 2009 में 19 लोकसभा सीटें जीतकर और 2011 में राज्य में 34 साल लंबे वाम मोर्चा शासन को समाप्त करके आंदोलनों का काफी फायदा उठाया।

नंदीग्राम में अधिकारी से चुनाव हार गईं थीं ममता बनर्जी
भाजपा के जोरदार प्रचार अभियान के बावजूद टीएमसी ने 2021 में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की। हालांकि, बनर्जी नंदीग्राम में अधिकारी से हार गईं। बाद में वह उस वर्ष के अंत में हुए उपचुनाव में रिकॉर्ड अंतर से भवानीपुर की अपनी गृह सीट से चुनी गईं।