इस मुल्क में राजनीतिक भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण 2019 में मंदी आई थी और तभी से इस मुल्क के लोगों की हालत बद से बदतर होती जा रही है।
बेरूत: पाकिस्तान और मिस्र के बाद अब एक और मुस्लिम बहुल देश पर कंगाली का खतरा मंडराने लगा है। कभी आर्थिक तौर पर संपन्न देश के रूप में पहचाने जाने वाले देश लेबनान में लोगों के लिए अब 2 वक्त की रोटी जुटा पाना मुश्किल हो गया है। भूमध्य सागर के पूर्व तट पर बसा यह देश मुस्लिम बहुल है और यहां 60 फीसदी से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है। मंगलवार को लेबनान की मुद्रा लेबनानी पाउंड नए निचले स्तर तक पहुंच गई। अब एक डॉलर की कीमत 100000 लेबनानी पाउंड के बराबर हो गई है।
गरीबी में जी रही है तीन-चौथाई आबादी
बता दें कि प्राइवेट मनी एक्सचेंजर्स ने करंसी बदलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप्स पर एक डॉलर के बदले एक लाख लेबनानी पाउंड की कीमत दिखाई। लेबनान में राजनीतिक भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण 2019 में मंदी आई थी और तभी से इस मुल्क के लोगों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। लगभग 53 लाख की आबादी वाले इस मुल्क की तीन-चौथाई जनता गरीबी में जी रही है। वैसे लेबनानी सेंट्रल बैंक की बात करें तो आधिकारिक एक्सचेंज रेट एक डॉलर के बदले 15000 लेबनानी पाउंड निर्धारित की गई है, लेकिन इस मुल्क में बाजार अब ब्लैक मार्केट की दर पर चल रहा है।
2020 के ब्लास्ट ने और बिगाड़े हलात
बता दें कि पिछले कुछ सालों में लेबनान जैसे खुशहाल मुल्क को जैसे किसी की नजर लग गई। पहले से ही आर्थिक संकट झेल रहे देश की राजधानी बेरूत में 4 अगस्त 2020 को हुए ब्लास्ट में करीब 220 लोगों की मौत हो गई थी और 7 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस एक घटना की वजह से15 बिलियन डॉलर (लगभग एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था। इस घटना के बाद भले ही पूरी दुनिया से लेबनॉन की मदद को हाथ उठे, लेकिन पूरे देश के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका था। बीते करीब ढाई सालो में लेबनान की हालत बद से बदतर ही हुई है, और यह देश अब दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है।