जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों की आतंकियों के साथ मुठभेड़ हो गई। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया इसके बाद सेना ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया।
जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सेना ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलवामा में सुरक्षाबलों की आतंकियों के साथ मुठभेड़ हो गई। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया इसके बाद सेना ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया। जंगल में आतंकियों के छिपे होनी की सूचना के बाद सुरक्षाबलों ने बड़ा अभियान शुरू किया। ये एनकाउंटर पुलवामा के मित्रीगम इलाके में हुआ। माना जा रहा है कि 2 आतंकवादी यहां छिपे हुए हैं।
अधिकारी के मुताबिक, तलाशी अभियान उस समय मुठभेड़ में तब्दील हो गया, जब आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाबल भी आतंकवादियों की गोलीबारी का माकूल जवाब दे रहे हैं। अधिकारी के अनुसार, आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच गोलीबारी जारी है और अभी तक दोनों पक्षों में किसी के भी हताहत होने की कोई सूचना नहीं है।
कश्मीरी पंडित संजय शर्मा के हत्यारे पुलवामा मुठभेड़ में ढेर
बता दें कि पिछले महीने ही जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए थे। जानकारी मिली कि मारे गए दोनों आतंकी कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या में शामिल थे। मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी शहीद हो गया। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बल ने हथियारों से लैस दो आतंकवादियों के मस्जिद में छिपे होने की जानकारी मिलने के बाद पुलवामा के पदगामपुर इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, ‘‘दो स्थानीय आतंकवादियों के एक मस्जिद में छिपे होने के कारण सुरक्षा बलों ने अत्यधिक संयम बरता। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि मस्जिद को कोई नुकसान न पहुंचे।’’ उन्होंने बताया कि मुठभेड़ के दौरान 55 राष्ट्रीय राइफल्स के एक जवान को जांघ में गोली लग गई, जिससे उसकी एक मुख्य धमनी को नुकसान पहुंचा। अत्यधिक खून बह जाने के कारण उसकी जान चली गई।
आतंकवादियों को शरण देने वाले शख्स की संपत्ति कुर्क
कश्मीर में आतंकी ही नहीं बल्कि उनकी मदद करने वालों के खिलाफ एक्शन लगातार जारी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शुक्रवार को कुपवाड़ा जिले में एक ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) की संपत्ति कुर्क कर ली। पुलिस के अनुसार, जिले के लंगेट इलाके के यारू गांव के मुहम्मद अब्दुल्ला मीर की जमीन आतंकवादियों को शरण देने और रसद सहायता प्रदान करने के लिए कुर्क की गई।