उमेश हत्याकांड में नया खुलासा हुआ है। उमेश की हत्या का प्लान बरेली जेल में अशरफ ने बनाया था। 11 फरवरी को बरेली जेल में असद समेत अन्य गुर्गे अशरफ से मिलकर आए थे। 13 फरवरी से रोजाना रेकी हुई थी। 13 फरवरी से उमेश की हर गतिविधियों पर नजर रखी गई। तीसरी कोशिश में उमेश को मार दिया गया।
उमेश पाल की हत्या का अंतिम खाका अशरफ की अगुवाई में बरेली जेल में 11 फरवरी को खींचा गया। असद, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम और विजय चौधरी उर्फ उस्मान समेत अन्य गुर्गे जेल में मीटिंग के बाद 12 फरवरी को वापस आए। शूटरों ने उमेश की हत्या की पहली कोशिश 15 फरवरी और दूसरा प्रयास 21 फरवरी को किया था, लेकिन सफल नहीं हो पाए।
24 फरवरी को उन्होंने उमेश को उनके घर पर गोलियों से छलनी कर दिया। दो सिपाही भी घटना में मारे गए। अतीक का बेटा असद, उमेश पाल की हत्या के लिए उतावला था। यूं तो उमेश की हत्या के लिए महीनों से प्लानिंग चल रही थी। दो महीनों से रेकी भी कराई जा रही थी, लेकिन अतीक के गुर्गों को कामयाबी नहीं मिल पा रही थी।
इसके बाद असद ने अपने हाथ में कमान ली। उसी ने सब कुछ मैनेज करना शुरू किया। वह अतीक और अशरफ से लगातार संपर्क में रहा। सदाकत, गुलाम और गुड्डू मुस्लिम हर कदम पर उसके साथ खड़े थे। बरेली जेल में 11 फरवरी को अशरफ से मीटिंग के बाद यह तय हो गया कि असद की देखरेख में उमेश को मारा जाएगा।
रेकी असलहों और खर्च समेत अन्य बातों की जिम्मेदारी भी असद को भी सौंपी गई। बरेली से लौटने के बाद असद सबसे पहले धूमनगंज के नियाज अहमद से मिला। उसे यह जिम्मेदारी दी गई कि उमेश जब भी बाहर निकलेगा, वह पीछा करेगा। पल-पल की जानकारी नियाज को इंटरनेट कॉलिंग के जरिये असद को देनी थी।