जुनैद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला जहां चीन तेजी से बांधों और हाइवे जैसे डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट्स के जरिए अपनी पहुंच बढ़ा रहा है।

एम्स्टर्डम स्थित थिंक-टैंक यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के निदेशक जुनैद कुरैशी ने कहा है कि हाल के सालों में दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते दखल ने रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक अवसरवाद जैसी चीजें सामने आई हैं। कुरैशी ने कहा कि चीन ने एक तरफ जहां भूटान और भारत जैसे देशों के साथ हिंसक रूप से आक्रामक होते हुए विस्तारवादी रवैया अपना रहा है वहीं श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव जैसे देशों के आर्थिक मामलों में दखल देकर उनकी संप्रभुता में अतिक्रमण करने की कोशिश करता है।

‘चीन के चक्कर में बर्बाद हुए श्रीलंका और पाकिस्तान’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 52वें सत्र में कुरैशी ने कहा, ‘पिछले एक साल में चीन की इस रणनीति का काफी बुरा असर देखने को मिला है। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश आज जिस तरह की बर्बादी झेल रहे हैं, उसने सही मायने में पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।’ श्रीनगर से ताल्लुक रखने वाले जुनैद ने कहा, ‘मान्यता प्राप्त देशों के लोगों की दुर्दशा को तो मीडिया में अभिव्यक्ति मिल जाती है, लेकिन मेरी मातृभूमि जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन रियासत का गिलगित बाल्टिस्तान का विवादित क्षेत्र इस मामले में थोड़ा दुर्भाग्यशाली रहा है।’

‘गिलगित बाल्टिस्तान में लोगों पर हो रहा अत्याचार’
जुनैद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला जहां चीन तेजी से बांधों और हाइवे जैसे डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट्स के जरिए अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। जुनैद ने कहा, ‘गिलगित बाल्टिस्तान के लोग चुपचाप अत्याचार सहने को मजबूर हैं और पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन उनके आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के जरिए दोहन कर रहा है। इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया है। पाकिस्तानी की सेना इस बारे में वहां से उठने वाली किसी भी आवाज को दबा देती है।’

‘गिलगित बाल्टिस्तान की दुर्दशा पर ध्यान दे दुनिया’
जुनैद ने संयुक्त राष्ट्र में कहा, ‘गिलगित बाल्टिस्तान के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है, ऐसे में इस सम्मानित परिषद को उन लोगों की दुर्दशा पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि चीन वहां मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा रहा है।’ बता दें कि फिलहाल पाकिस्तान के कब्जे में मौजूद गिलगित बाल्टिस्तान को भारत अपना अभिन्न अंग बताता रहा है। हाल के वर्षों में चीन ने वहां कई प्रोजेक्ट्स चलाए हैं और इलाके का भरपूर दोहन कर रहा है।