वाराणसी में  वन वर्ल्ड टीबी समिट को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा एक किस्सा सुनाया। बताया कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने उनका सपना पूरा किया।

विश्व क्षय रोग दिवस पर गंगा की पावन धारा पर बसी काशी से देश को टीबी मुक्त करने के अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गति दी। शुक्रवार को वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित वन वर्ल्ड टीबी समिट में पीएम मोदी ने टीबी मुक्त पंचायत अभियान का शुभारंभ करेंगे। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा एक किस्सा सुनाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी को कुष्ठ रोग अस्पताल के उद्घाटन के लिए बुलाया गया, लेकिन उन्होंने जाने से इन्कार कर दिया। गांधी ने कहा कि जब अस्पताल में ताला लगाने के लिए बुलाया जाएगा तो जरूर आऊंगा। दरअसल, गांधी जी ने कुष्ठ रोग से निजात के लिए अभियान छेड़ रखा था। उन्हें लगता था कि देश कुष्ठ रोग से मुक्त होना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि वर्ष 2001 में गुजरात की जनता ने भाजपा व मुझे सेवा का अवसर दिया। तब कुष्ठ रोग का आंकड़ा 23 फीसदी था। कुछ समय में ही इसे घटाकर एक फीसदी पर ले आए। कुछ समय बाद गुजरातवासियों को कुष्ठ रोग से निजात मिल गई। कुष्ठ रोग अस्पताल पर भी ताला लग गया। गांधी जी चाहते थे कि कुष्ठ रोग से निजात मिले और अस्पताल बंद हो जाए। ठीक उसी तरह हमने देश को टीबी मुक्त करने का बीड़ा उठाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का भारत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि वन वर्ल्ड टीबी समिट के जरिये भारत एक नए संकल्प पूरा कर रहा है। भारत का यह प्रयास टीबी के खिलाफ वैश्विक है। भारत में टीबी को स्थानीय भाषा में क्षय कहा जाता है। उन्होंने कहा कि विदेश से आए अतिथियों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में टीबी मरीजों को लोग गोद ले रहे हैं। इसे भारत में निक्षय मित्र कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों के पोषण के लिए वर्ष 2018 से डीबीटी के लिए 2000 करोड़ उनके बैंक खाते में भेजे गए। इससे करीब 75 लाख मरीजों को लाभ पहुंचा है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी इलाज से छूटे नहीं इसके लिए हमने नई रणनीति पर काम शुरू किया है। उन्होंने बताया कि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। जबकि विश्व में इसका लक्ष्य 2030 तक है।  उन्होंने बताया कि आज टीबी के लिए 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनती हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत की विचारधारा वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हुए एक विश्व की बात कही। उन्होंने जी-20 की थीम “एक पृथ्वी-एक कुटुंब-एक भविष्य” को भी दोहराया। अंत में उन्होंने ‘यस वी कैन-यस वी विल’ का नारा भी दोहराया। प्रधानमंत्री ने तीन दिवसीय वन वर्ल्ड टीबी समिट कार्यक्रम में टीबी के क्षेत्र में एक प्रमुख पहल लॉन्च की। जिसमें इंडिया टीबी रिपोर्ट- 2023, फॅमिली हेल्पलाइन नंबर, टीबी मुक्त पंचायत अभियान, क्रमबद्ध निवारक उपचार जिसमें की केवल 12 खुराक दी जाती शामिल हैं।