कन्नौज जिले में मां-बाप को प्रेमी के साथ मिलकर मौत की घाट सुला देनी वाली बेटी को जब अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई, तो वह भरी अदालत में बिलख पड़ी। तीन साल के मासूम बेटे को कलेजे से लिपटा कर फूट-फूट कर रोती रही। कभी आंचल से आंख के आंसू पोछती, तो कभी बेटे का चेहरा पोछती।
सामने कठघरे में खड़ा प्रेमी गुमसुम उसे निहारता रहा। अपने मामा संग प्रेम की पींगे बढ़ाने वाली संगीता और प्रेमी प्रवेंद्र की खूनी प्रेम कहानी पूरी तरह फिल्मी है। पहले तो दोनों छिप-छिप कर मिलते रहे। बाद में जब उन दोनों को घर में संगीता की मां ऊषा ने आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया और आपत्ति जताई।
इस पर दोनों ने मिलकर खतरनाक मंसूबा बनाया और वारदात वाली रात आठ अक्तूबर 2018 को संगीता ने मोबाइल करके प्रवेंद्र को रात में घर बुलाया। रात में सोते समय पिता रमेशचंद्र और मां ऊषा पर फावड़ा से ताबड़तोड़ कई वार किया। इस हमले में रमेशचंद्र की मौके पर ही मौत हो गई।
कोलकाता से यहां लाने के बाद संगीता को जब जिला जेल भेज गया, तो मेडिकल जांच में वह गर्भवती पाई गई थी। कुछ महीने के बाद उसने वहां बेटे को जन्म दिया। बेटे का नाम कृष्णा रखा। बुधवार को जब अदालत में संगीता और प्रवेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई जा रही थी, तो वह इस पूरे मामले से बेखबर खेलने में लगा था।
मां-बाप की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के दौरान संगीता कठघरे के पास ही फर्श पर बैठी थी। प्रेमी प्रवेंद्र कठघरे में था। सजा सुनने के बाद जब वह रोने लगी, तो प्रवेंद्र उसे एकटक देखने लगा। कुछ देर बाद संगीता को सजा की कॉपी दी गई।
अदालत ने जब दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई, तो उन दोनों के ही परिवार का कोई सदस्य अदालत में मौजूद नहीं था। दोनों के वकील को सजा सुनाने से पहले अपना पक्ष रखने को कहा गया। उसने कम से कम सजा देने की वकालत की।