सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि वह युवा और किशोर लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता तक पहुंच में सुधार के लिए समर्पित है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हलफनामे में बताया कि उसने व प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम चलाए हैं और लड़कियों के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए हैं।
मंत्रालय ने कहा, मासिक धर्म से संबंधित योजनाओं के लिए केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियां कार्यान्वयन निकाय नहीं हैं। यह वास्तव में राज्य और उनकी एजेंसियां हैं जो नीतियों को लागू करने में सबसे आगे हैं। केंद्र ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर की जनहित याचिका पर हलफनामा दाखिल किया। ठाकुर ने देश भर के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक पढ़ने वाली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।
सुविधाओं की कमी से जुड़ी है स्वच्छता
सैनिटरी स्वच्छता के उत्पादों तक सीमित पहुंच और सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं की कमी से जुड़ी हैं। सरकार मासिक धर्म स्वच्छता पर किशोरियों के बीच जागरूकता बढ़ाने, आत्म-सम्मान का निर्माण करने और बेहतर समाजीकरण के लिए लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित है।