एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार के नालंदा और सासाराम में हुए दंगों के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि यह इन्टेलीजेंस इनपुट था कि इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं इसके बाद भी सरकार दंगों को रोकने में नाकाम रही। 2016 में भी नालंदा में इस तरह की घटनाएं हुई थी। यह पूरी तरह से हुकुमत की नाकामी है।

ओवैसी ने कहा कि 100 साल पुराने मदरसे को जला दिया गया। इसमें कई अहम दस्तावेज नष्ट हो गए। लेकिन नीतीश कुमार को इन घटनाओं पर को लेकर कोई तकलीफ नहीं है। कल इफ्तार पार्टी में चले गए और टोपी पहन लिए। नीतीश कुछ तो हमदर्दी दिखाते।

ओवैसी ने कहा कि यह खुली-खुली साजिश है। बीजेपी दंगों के जरिए ध्रुवीकरण करना चाहती है जबकि नीतीश और तेजस्वी चाहते हैं कि मुसलमानों के दिलों में खौफ रहे ताकि उनके वोट का इस्तेमाल वे अपनी राजनीति के लिए कर सकें। राज्य सरकार ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है।

सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है पुलिस

इस बीच दोनों शहरों में अपराधियों की पहचान के लिए पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है । दोनों शहरों में सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं। अतिरिक्त सुरक्षा बलों की 26 से अधिक कंपनियां जिनमें बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस की 19, सशस्त्र सीमा बल की तीन, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की एक तथा रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की तीन कंपनियां शामिल हैं, को दोनों जिलों में अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है। बिहार पुलिस ने नालंदा में बढ़ते तनाव के बारे में सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों को भी खारिज कर दिया। पुलिस ने लोगों से ऐसी किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं देने की अपील की है।

रामनवमी के जुलूस के दौरान भड़की थी हिंसा

गौरतलब है कि बृहस्पतिवार (30 मार्च) को रामनवमी के जुलूस के दौरान दो पक्षों के बीच हुई झड़प शनिवार तक जारी रही। एक अप्रैल को रोहतास के सासाराम में हुए बम विस्फोट में छह लोग घायल हो गए थे। खबरों के मुताबिक धमाका अवैध विस्फोटकों को संभालने के दौरान हुआ। विस्फोट के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच के दौरान यह पाया गया कि अवैध विस्फोटक संचालन के दौरान वे स्वयं घायल हुए थे। आगे की जांच जारी है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का रविवार को सासाराम दौरा गत बृहस्पतिवार को हुई झड़पों के कारण रद्द कर दिया गया था।