नियम विरुद्ध बिड खोलने में डीआईजी फंस गए हैं। वरिष्ठ अधीक्षक की जांच में डीआईजी शैलेंद्र मैत्रेय और प्रशासनिक अधिकारी श्रीराम दोषी पाए गए थे। लेकिन अपर महानिरीक्षक कारागार ने दोषी अधिकारियों को चेतावनी देकर प्रकरण समाप्त कर दिया।

केंद्रीय कारागार बरेली एवं नैनी में स्थापित कंबल उद्योग में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की खरीद के मामले में पदावनत डीआईजी शैलेंद्र मैत्रेय और प्रशासनिक अधिकारी श्रीराम को जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद अधिकारियों ने बख्श दिया। नियम विरुद्ध तरीके से वित्तीय निविदा खोलने और एक ही कंपनी को सामान की आपूर्ति का काम देने के मामले की जांच कारागार विभाग के वरिष्ठ अधीक्षक संत लाल ने की थी।

उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में शैलेंद्र मैत्रेय और श्रीराम को दोषी पाते हुए कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की संस्तुति की थी। वहीं अपर महानिरीक्षक कारागार चित्रलेखा सिंह ने भी डीआईजी के बयान को संतोषजनक नहीं पाया था। इसके बावजूद तत्कालीन डीजी जेल ने दोनों अधिकारियों को महज चेतावनी देकर प्रकरण समाप्त कर दिया।

बताते चलें कि कारागार मुख्यालय ने वरिष्ठ अधीक्षक संत लाल को जेम पोर्टल पर अपलोड वित्तीय बिड को खोले जाने में हुई त्रुटि की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश 14 दिसंबर 2022 को दिए थे। वरिष्ठ अधीक्षक ने जांच के बाद मुख्यालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रशासनिक अधिकारी श्रीराम और तत्कालीन डीआईजी कारागार शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने कुछ निविदादाताओं के साथ साठगांठ करते हुए उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाने का प्रयास किया।

उन्होंने क्रय समिति की बैठक बुलाने और प्रभारी निदेशक उद्योग को सूचित किए बिना वित्तीय अनियमितता की। जिसके कारण जेम पोर्टल पर इन बिडों को निरस्त करना पड़ा। इसके फलस्वरूप शासकीय क्षति हुई और जेम पोर्टल पर कारागार विभाग की छवि धूमिल हुई। इसके लिए दोनों अधिकारी स्पष्ट रूप से दोषी हैं।

 

ये अनियमितताएं आई सामने
अपलोड की चार बिड की तकनीकी निविदा खुलने के दिन प्रभारी उद्योग निदेशक अवकाश पर थे। इस वजह से क्रय समिति की कोई बैठक 21 नवंबर 2022 को नहीं हुई। इस संबंध में पासवर्ड प्रोटेक्टेड जेम पोर्टल पर निविदा का तकनीकी पहलू खोलने में अनियमितता बरती गई। चारों निविदाएं 23 नवंबर 2022 को रात 9.54 बजे, 9.58 बजे, 9.59 बजे और 10.02 बजे खोली गई थी। जबकि इसका पासवर्ड और ओटीपी डीआईजी कारागार शैलेंद्र कुमार मैत्रेय के पास था।

एक ही फर्म एसएसएल इंटरप्राइजेस के पक्ष में एल-1 जेम पोर्टल पर प्रदर्शित कर दिया गया। फर्म द्वारा लगाया गया उत्पादक का सर्टिफिकेट भी विवादित रहा है। इस बिडर के कुछ प्रपत्रों को विलंब से डीआईजी कारागार के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसे उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी से पोर्टल पर अपलोड करा दिया।

वरिष्ठ अधीक्षक संतलाल की रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए मेरे पास पत्रावली आई थी। इस पर शैलेंद्र मैत्रेय से स्पष्टीकरण मांगा गया था। उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर पत्रावली डीजी जेल को भेज दी गयी। उन्होंने दोनों को भविष्य में सचेत रहने की चेतावनी दी है