एटा में अदालत ने दुधमुंही बच्ची से दुष्कर्म के मामले में महज पांच माह में फैसला सुना दिया। अदालत ने दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई। कहा कि जो बच्ची अभी बोलना तक नहीं सीखी उसके साथ इस तरह का कृत्य पैशाचिक प्रवृत्ति का है।

उत्तर प्रदेश के एटा में मारहरा थाना क्षेत्र के एक गांव में नवंबर 2022 डेढ़ वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी। अदालत ने एतिहासिक रूप से पांच महीने में ही सुनवाई पूरी कर दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार तृतीय की अदालत में बुधवार को मासूम के साथ दुष्कर्म करने के मामले की सुनवाई की गई।

अदालत में साक्ष्य और गवाह पेश किए गए। इनको आधार मानकर अदालत ने संजू उर्फ संजय निवासी पिदौरा, थाना मारहरा को दोषी पाया। अदालत ने उसको उम्रकैद और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि उम्रकैद का मतलब प्राकृत जीवनकाल (जीवन पर्यंत) तक होगा।

सोच-विचार कर किया गया कृत्य 

दोषी के अधिवक्ता ने दलील देकर कम से कम सजा देने की गुहार लगाई। लेकिन, सहायक अभियोजन अधिकारी प्रभात कुमार ने दलील दी कि अभियुक्त द्वारा सोच-विचार कर यह कृत्य किया गया। जिसने बच्चे के संपूर्ण भविष्य को प्रभावित किया है। अभियुक्त विकृत सोच का दर्शित होता है, जो सहानुभूति पाने का अधिकार नहीं है, उसे कठोरतम दंड दिया जाए।

एक लाख का अर्थदंड भी लगाया 

एडीजीसी ने बताया कि दोषसिद्ध संजू ने आठ नवंबर 2022 की शाम करीब चार बजे वारदात को उस समय अंजाम दिया, जब मासूम खेल रही थी। बच्ची की मां ने नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। बताया कि एक लाख के अर्थदंड में से 60 फीसदी धनराशि पीड़िता को देने के भी अदालत ने आदेश दिए हैं।

पैशाचिक प्रवृत्ति का है कृत्य

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अबोध बच्ची जो बोलना भी नहीं सीखी, उसके साथ ऐसे लैंगिंग अपराध की कल्पना नहीं की जा सकती है। मासूम के साथ किया गया कृत्य पैशाचिक प्रवृत्ति का है। पीड़िता की पीड़ा की गणना नहीं की जा सकती, उसका 15 दिनों तक इलाज चला और उसको किस पीड़ा से गुजरना पड़ा, इसकी कल्पना करना मुश्किल है। ऐसा व्यक्ति जो बच्चों के लिए कॉटन कैंडी (बुड़िया/गुड़िया के बाल) बेचता हो, उसके द्वारा ऐसा कृत्य करना और भी ज्यादा निंदनीय है।