संधू ने कहा कि ‘सिख धर्म के अहम और आधारभूत सिद्धांतों में वैश्विकता, एकता, समानता, ईमानदारी, सेवा, ध्यान, लोगों के बीच सद्भाव और मन की शांति शामिल है।’

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने खालिस्तानियों को आईना दिखाया है। एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में भारतीय राजदूत ने कहा कि खालसा तोड़ने वाली नहीं बल्कि जोड़ने वाली ताकत है। संधू ने कहा कि कुछ शरारती तत्व सिख धर्म की प्रमुख धार्मिक विशेषताओं को तोड़-मरोड़कर सोशल मीडिया के जरिए पेश कर रहे हैं। संधू का यह बयान उन घटनाओं के बाद आया है, जिनमें खालिस्तानियों ने अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों में स्थित भारतीय दूतावास पर हमला किया था।

बताए सिख धर्म के आधारभूत सिद्धांत
भारतीय राजदूत ने शनिवार को वॉशिंगटन में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में सिख हीरो अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में कई चर्चित अमेरिकी सिखों को भी सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में संधू ने कहा कि ‘खालसा का गठन गुरु गोबिंद सिंह ने बैसाखी के दिन किया था। खालसा जोड़ने वाली ताकत है ना कि तोड़ने वाली।’ बता दें कि खालसा परंपरा की शुरुआत 1699 में हुई थी। उन्होंने कहा कि सिख धर्म के अहम और आधारभूत सिद्धांतों में वैश्विकता, एकता, समानता, ईमानदारी, सेवा, ध्यान, लोगों के बीच सद्भाव और मन की शांति शामिल है।

‘खालसा ध्वज शांति का प्रतीक’
भारतीय राजदूत ने कहा कि खालसा ध्वज एकता, शांति और वैश्विक प्यार का ध्वज है। सिख धर्म समावेश, भाईचारे, प्यार, समानता और विविधता का धर्म है। हमें सिख धर्म की धार्मिक विशेषताओं का ध्यान रखना चाहिए ना कि उन बातों जो कुछ शरारती तत्व सोशल मीडिया के जरिए फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और डिजिटाइजेशन आदि क्षेत्रों में भारत तेजी से विकास कर रहा है। ऐसे में पंजाब और खासकर पंजाब के युवाओं को इसका फायदा उठाना चाहिए और देश की आर्थिक, वित्तीय तरक्की के साथ जुड़ना चाहिए। संधू ने कहा कि भारत में अब नई शिक्षा नीति लागू हो रही है और इसका आने वाली पीढ़ी को फायदा मिलेगा।

सिख ऑफ अमेरिका संस्था के चेयरमैन जसदीप सिंह जस्सी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे समुदाय में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। तरणजीत सिंह संधू के अलावा दर्शन सिंह धालीवाल, , गुरबीर सिंह ग्रेवाल, रवि सिंह भल्ला और मनराज सिंह कहलो को भी सम्मानित किया गया। ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सिख पुलिस अधिकारी संदीप धालीवाल को मरणोपरांत ये अवार्ड दिया गया।