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48 सालों से रोजेदारों को सहरी के लिए जगाते हैं गुलाव यादव, परंपरा को बढ़ा रहे आगे

आजमगढ़ में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिल रही है। गांव निवासी गुलाब यादव रमजान के महीने में घर-घर जाकर रोजेदारों को जगाते हैं। गांव में 48 वर्षों से इस परंपरा का निर्वाह गुलाब का परिवार करता आ रहा है।

आजमगढ़ के मुबारकपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया गांव में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिल रही है। गांव निवासी गुलाब यादव रमजान के महीने में घर-घर जाकर रोजेदारों को जगाते हैं। गांव में 48 वर्षों से इस परंपरा का निर्वाह गुलाब का परिवार करता आ रहा है। पहले गुलाब के दादा व पिता इस कार्य करते थे। अब उनके बाद गुलाब यादव इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।

गुलाब यादव ने बताया कि हमारे बाप-दादा ने 1975 से इस काम की शुरुआत की थी। उनके बाद वे इस परंपरा को कायम रखे हुए हैं। पहले उनके पिता जी घर-घर लालटेन लेकर जाते थे। पिता के कार्यों का अनुश्रवण कर अब गुलाब लालटेन की जगह टार्च लेकर पाक रमजान माह में लोगों को घर-घर जाकर सहरी के लिए जगाने का कार्य करते हैं।

रोज रात में एक बजे घर से निकलकर गांव में घर-घर जाकर सभी के घरों पर डंडा बजाकर और नाम लेकर पुकारते हैं कि उठो सहरी का समय हो गया है। गुलाब के रहते किसी रोजेदार को सहरी के समय उठने की चिंता नहीं रहती क्योंकि उन्हें पता है कि जब समय होगा तो गुलाब दरवाजे पर दस्तक देंगे।

स्थानीय रोजेदारों ने बताया कि पहले गुलाब यादव के बाप-दादा जगा रहे थे पर अब गुलाब यादव आते है। डंडे से घर के दरवाजों को भी पीटते हैं, पर कोई भी व्यक्ति इस बात का बुरा नहीं मानता है। बल्कि उनकी प्रशंसा के साथ दुआ भी देता है। यही कारण है कि यह अनोखी परंपरा चली आ रही है।

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