बाराबंकी। गेहूं खरीद शुरू हुए एक पखवाड़ा हो रहा है लेकिन खरीद को वह रफ्तार नहीं मिल पा रही है जिसकी अपेक्षा की जा रही है। अधिकारी भले ही गेेहूं खरीद में तेजी लाने पर जोर दे रहे हों लेकिन केंद्रों पर मौजूद प्रभारी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। यहीं वजह है कि किसान सरकारी केंद्रों की ओर रुख नहीं कर रहा है।जिले में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद की जा रही है इसके लिए 64 केंद्र खोले गए हैं। एक पखवाड़े का समय बीतने को है और अभी तक 1036 क्विंटल ही गेहूं की खरीद की जा सकी है। लेकिन गेहूं खरीद को वह गति नहीं मिल पा रही है जिसकी अपेक्षा की जा रही है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जिले में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं की फसल देर से तैयार हुई है यहीं वजह है कि सरकारी केंद्रों पर गेहूं कम आ रहा है। इसके लिए अधिकारी लगातार किसानों से संपर्क करने पर जोर दे रहे हैं परन्तु केंद्र प्रभारी हैं जो इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और सिर्फ फोन पर ही किसानों से संपर्क कर औपचारिकता निभाने का कार्य किया जा रहा है। वहीं बाजार भाव भी धीरे-धीरे गिरने लगा है और व्यापारी पहले जहां 2300 रुपये में गेहूं की खरीद कर रहे थे अब वह 2100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद कर रहे हैं। इस बाबत जिला खाद्य विपणन अधिकारी रमेश कुमार का कहना है कि बाजार में गेहूं के दाम कम हुए हैं इस सप्ताह से गेहूं की आवक बढ़ेगी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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सरकारी केंद्रों पर ही फसल बेचता है बड़ा किसान
विभाग का मानना है कि जितना भी बड़ा काश्तकार है वह अपनी फसल सरकारी केंद्रों पर ही बेचना ज्यादा मुफीद समझता है। सरकारी केंद्रों पर बेची गई फसल का पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है और वह सीधे बैंक खाते में भेजा जाता है। जबकि व्यापारी किसानों को एकमुश्त पूरा पैसा नहीं देते हैं और वह कई चरणों में इसका भुगतान करते हैं यहीं वजह है कि छोटा किसान तो व्यापारी के हाथ अपनी फसल बेच देता है, लेकिन बड़ा किसान जो वह सरकारी केंद्रों पर ही अपना उत्पाद बेचता है।