बसपा सुप्रीमो इस बार मुस्लिमों पर फोकस कर रही हैं। वह अपने भाषणों में यह बात कहती रही हैं कि यदि दलितों के वोट के साथ मुस्लिमों का वोट आ जाए तो बात बन सकती हैं। उनका यह असर उनके टिकट वितरण में भी नजर आ रहा है। सहारनपुर में बसपा ने महापौर पद पर पूर्व विधायक इमरान मसूद की भाभी खदीजा मसूद को प्रत्याशी घोषित किया है।

नगर निकाय चुनाव में बसपा ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। इस चुनाव में बसपा दलित-मुस्लिम कार्ड पर सबसे ज्यादा भरोसा करने की तरफ है। सहारनपुर में महापौर पद पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित करने के बाद लखनऊ में भी बसपा ने महापौर पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवार पर ही दांव खेला है।

बसपा सुप्रीमो इस बार मुस्लिमों पर फोकस कर रही हैं। वह अपने भाषणों में यह बात कहती रही हैं कि यदि दलितों के वोट के साथ मुस्लिमों का वोट आ जाए तो बात बन सकती हैं। उनका यह असर उनके टिकट वितरण में भी नजर आ रहा है। सहारनपुर में बसपा ने महापौर पद पर पूर्व विधायक इमरान मसूद की भाभी खदीजा मसूद को प्रत्याशी घोषित किया है।

खदीजा इमरान मसूद की समधन भी हैं। चूंकि यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है और खदीजा पिछड़ा वर्ग से हैं तो बसपा ने एक तीर से दो निशाने यहां लगाने की कोशिश की है। अब लखनऊ में भी बसपा ने यही दांव चला है। यहां शाहीन बानो को प्रत्याशी घोषित किया है। शाहीन के पति सरवर मलिक उत्तरी विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं।

दरअसल बसपा की सबसे ज्यादा निगाह सपा पर है। वह उसके टिकटों पर भी नजर लगाए हैं। सपा ने अब तक महापौर पद के नौ उम्मीदवार घोषित किए हैं। इनमें उन्होंने एक ही मुस्लिम को टिकट दिया है। इनमें चार सवर्णों, तीन ओबीसी, एक एससी को टिकट दिया है।

हालांकि अभी भाजपा ने टिकट घोषित नहीं किए हैं और भाजपा भी इस हिसाब से ही अपने उम्मीदवारों पर मंथन कर रही है। पिछले चुनाव में बसपा ने दलित मुस्लिम समीकरण के दम पर ही मेरठ और अलीगढ़ की सीटें जीत ली थीं। इस बार भी बसपा इसी तरह का अपना गणित लगाकर स्थिति और मजबूत करना चाहती है।