अमेरिकी युद्धपोत के ताइवान जलडमरूमध्य में आने के बाद चीन की तरफ से सख्त प्रतिक्रिया दी जाएगी। चीन पहले  चेतावनी दे चुका है कि अगर ताइवान के क्षेत्र में अमेरिका आता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

ताइवान को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन के भीषण युद्धाभ्यास के बाद अब अमेरिका ने भी अपने युद्धपोत ‘मिलियस’ को ताइवान जलडमरूमध्य में भेज दिया है। ऐसे में चीन और अमेरिका के बीच मामला बढ़ता दिख रहा है। चीन का कहना है कि ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से अमेरिकी युद्धपोत को ट्रैक किया गया है। इसलिए इसे लेकर चीन ने ‘हाई अलर्ट’ भी जारी कर दिया है।

माना जा रहा है, अमेरिकी युद्धपोत के ताइवान जलडमरूमध्य में आने के बाद चीन की तरफ से सख्त प्रतिक्रिया दी जाएगी। चीन पहले भी चेतावनी दे चुका है कि अगर ताइवान के क्षेत्र में अमेरिका आता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नौसेना ने ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से एक युद्धपोत रवाना किया है। ये युद्धपोत उस वक्त ताइवान जलडमरूमध्य में पहुंचा है, जब चीन ने स्व-शासित ताइवान को घेरकर रखा हुआ है।

अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े का कहना है कि रविवार को अमेरिकी युद्धपोत का ताइवान जलडमरूमध्य पहुंचना सामान्य प्रक्रिया है। यह रूटीन का हिस्सा है। साथ ही उन्होंने बताया कि ये युद्धपोत जलडमरूमध्य में एक गलियारे से होकर गुजरा है, जो किसी भी तटीय राज्य के क्षेत्रीय समुद्र से परे है।

चीन नहीं हट रहा पीछे

वहीं चीन लगातार युद्धभ्यास कर रहा है। इसकी जानकारी ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने खुद दी है। सोमवार की सुबह  रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पिछले 24 घंटे में ताइवान के आसपास 18 चीनी सैन्य विमानों और चार नौसैनिक जहाजों को देखा गया है। उन्होंने कहा कि चीन लगातार ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए कोशिश कर रहा है।

ताइवान और चीन में विवाद 

करीब सात दशक पहले, जब चीन में गृहयुद्ध चल रहा था, उस वक्त कम्युनिस्ट पार्टी ने लोकतांत्रिक पार्टियों को हरा दिया था। पराजित लोकतांत्रिक नेता ताइवान द्वीप भाग गए थे। सन् 1990 के दशक में ताइवान सत्तावादी शासन से एक लोकतंत्र में परिवर्तित हो गया और अब उसे अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संगठन फ्रीडम हाउस द्वारा एशिया में सबसे मुक्त न्यायालयों में से एक का दर्जा दिया गया है। हालांकि, चीन की सत्तावादी कम्युनिस्ट पार्टी लगातार ताइवान पर अपना दावा करती है। चीन का कहना है कि ताइवान चीन का ही हिस्सा है और उसे पाने के लिए ताकत का इस्तेमाल करना पड़ता है, तो वो इससे पीछे नहीं हटेगा।