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अतीक-अशरफ हत्याकांड: शूटर अरुण के दादा बोले- अरुण को मिलनी चाहिए किए की सजा, हम नहीं लड़ेंगे केस

प्रयागराज में माफिया अतीक और अशरफ की हत्या में शामिल एक शूटर अरुण मौर्य के दादा का कहना है कि उसे किए की सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने अरुण मौर्य का केस लड़ने से भी इंकार किया। कहा कि पहले ही अरुण पिस्तौल के साथ पकड़े जाने के बाद जेल गया था। जमानत पर छूटने के बाद उसे दोबारा गलती करने पर नाता तोड़ने की हिदायत दी थी, लेकिन वह नहीं माना और अपराध के रास्ते पर चल पड़ा। परिजन हैरान है कि 200 रुपये जेब खर्च मांगने वाले अरुण के पास लाखों रुपये की पिस्टल कहां से आई, जिससे उसने अतीक-अशरफ हत्याकांड को अंजाम दिया।

अतीक हत्याकांड में शामिल शूटर अरुण मौर्य के पास पांच लाख की जिगाना गन कहां से आई। इसे लेकर परिवार भी चिंतित है। उनका कहना है कि अरुण एक जगह टिक कर नौकरी नहीं करता था। वह नौकरी बदलता रहता था। बहुत बार उसके पास जेब खर्च के लिए भी रुपये नहीं होते थे, वह अपने दादा मथुरा प्रसाद से सौ-दो रुपये मांगता था, लेकिन उसके पास इतनी महंगी पिस्टल कहां से आई, यह बड़ा सवाल है।

एनएफएल के पास विकास नगर निवासी दादा मथुरा प्रसाद ने बताया कि अरुण बचपन में ऐसा नहीं था। 10वीं पास करने के बाद उसने आपराधिक रास्ते पर कदम बढ़ाया। देसी कट्टा पकड़े जाने के बाद वह जेल चला गया।

किसी तरह उन्होंने 20 दिन बाद उसकी जमानत करा दी, लेकिन बाहर आने के बाद उसने दोबारा तीन साथियों के साथ मिलकर हत्या के केस में गवाहों के मारपीट कर दी, जिसके बाद वह दोबारा जेल चला गया था। इस बार उनके पास जमानत तक के पैसे नहीं थे।

15 दिन तक उन्होंने जमानत के रुपये जुटाए और वकील कराकर उसकी जमानत कराई। उसने इस बार अपने पोते अरुण मौर्य को चेतावनी दी थी कि, अगर अब दोबारा उसने किसी के साथ मारपीट की या कोई आपराधिक वारदात को अंजाम दिया तो वह उससे नाता तोड़ लेंगे, वह खुद इसके लिए जिम्मेदार होगा, लेकिन अब माफिया ब्रदर्स की हत्या में उसका नाम सामने आया है। ऐसे में उनका कहना है कि पुलिस जो भी कठोर कार्रवाई बनती है, वह करे। क्योंकि अब वह उसका केस भी नहीं लड़ेंगे, उसने स्वयं गलत रास्ता चुना है, उसे दंड मिलना ही चाहिए।

पानीपत कोर्ट में 15 अप्रैल को थी तारीख, उधर अतीक हत्याकांड को दिया अंजाम
अवैध कट्टे के मामले में केस की पैरवी कर रहे वकील सुरेश ने बताया कि अरुण मौर्य को जेल से 19 फरवरी 2022 को जमानत मिल गई थी। परिजनों के कहने पर उसने जुवेनाइल कोर्ट में याचिका लगाई तो कोर्ट ने दस्तावेजों के आधार पर अरुण की 17 साल छह माह उम्र बताते हुए उसे नाबालिग मान लिया था। अब उसका यह केस जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में 15 अप्रैल 2023 की कोर्ट में तारीख थी, लेकिन उसी दिन अतीक और अशरफ की हत्या में उसका नाम आया। अब तारीख चार मई को लगी है। देखने में ऐसा लगता था कि वह मक्खी भी नहीं मार सकता है।

वारदात के पीछे मास्टर माइंड, जिसने मुहैया कराए हथियार
परिजनों का कहना है कि अरुण मौर्य, सनी समेत तीनों आरोपियों को लाखों की पिस्टल थमाने वाला कोई और मास्टरमाइंड है, जिसने अतीक और अशरफ को मरवाने में सिर्फ इनका प्रयोग किया है। पुलिस मामले की जांच करे और उस मास्टरमाइंड का भी पर्दाफाश करे।गांव से लापता परिवार का नहीं लगा सुराग
वारदात के बाद से अरुण मौर्य के पिता दीपक कासगंज के गांव कादरवाड़ी से लापता है। अरुण की मां केला, छोटा भाई अनीकेत और एक बहन भी पिता के साथ ही गायब हैं। वह कहां है, अब तक उनका कोई सुराग नहीं लगा है। आशंका है कि दीपक पानीपत में अपने पिता मथुरा प्रसाद और छोटे भाई सुनील के पास आ सकते हैं, इसलिए पुलिस लगातार उन पर नजर बनाए हुए है।
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