गेहूं और चावल की मौजूदा खरीद से सरकारी भंडारों में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार बना हुआ है।
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महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार और आरबीआई हर संभव कोशिश कर रही है। इसके चलते महंगाई में कमी भी आई है। हालांकि, आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। महंगाई बढ़ने से सबसे अधिक बोझ आम लोगों पर पड़ता है। इस बीच एक अच्छी खबर आई है कि गेहूं और चावल की मौजूदा खरीद से सरकारी भंडारों में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार बना हुआ है। यानी जरूरत पड़ने पर सरकार गेहूं और चावल की बिक्री जारी रखेगी। इससे गेहूं और चावल की मंहगाई को कम करने में मदद मिलेगी। हाल ही में गेहूं महंगा होने से आटा का दाम बढ़ गया है। आपको बता दें कि सरकार ने ‘ओपन मार्केट सेल्स स्कीम’ (OMSS) शुरू की है। इसके जरिये बाजार में सस्ती दर पर गेहूं-चावल बेची जाती है। इससे आम लोगों सस्ता अनाज मिल पाता है।
गेहूं और चावल की मौजूदा खरीद से सरकारी भंडारों में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार बना हुआ है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारत में गेहूं और चावल की संयुक्त स्टॉक स्थिति बेहतर स्तर पर है, और यह 570 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) है। सरकार के पास खाद्यान्न की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है। जानकारी के अनुसार केंद्र द्वारा खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के दौरान धान की खरीद सुचारू रूप से चल रही है, क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत 19 जून तक केंद्रीय पूल के लिए 830 एलएमटी से अधिक की खरीद की जा चुकी है।
धान के बदले चावल की डिलीवरी भी चल रही
खरीदे गए धान के बदले चावल की डिलीवरी भी चल रही है। केंद्रीय पूल में 19 जून तक लगभग 401 एलएमटी चावल प्राप्त हो चुका है और 150 एलएमटी अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। सूत्रों ने कहा कि रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2023-24 के दौरान गेहूं की खरीद भी सुचारू रूप से चल रही है। चालू सीजन में 19 जून तक गेहूं की खरीद 262 एलएमटी है, जो पिछले साल की कुल खरीद 188 एलएमटी से 74 एलएमटी अधिक है।