दिल्ली की केजरीवाल सरकार लंबे समय से दिल्ली अध्यादेश बिल का विरोध करती आ रही है। विभिन्न विपक्षी दलों से अरविंद केजरीवाल ने इस बिल के खिलाफ समर्थन देने की मांग की है। जहां कांग्रेस ने केजरीवाल का समर्थन देने का दावा किया है इसी बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता ने पार्टी से अलग जाकर बिल पर अपना पक्ष रखा है।
आज राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा संशोधित विधेयक लोकसभा में पेश नहीं किया गया। यह जानकारी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दी है।
देश के विभिन्न विपक्षी दलों से अरविंद केजरीवाल ने इस बिल के खिलाफ समर्थन देने की मांग की। जहां कांग्रेस ने केजरीवाल का समर्थन देने का दावा किया है, वहीं दिल्ली के दिग्गज कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने पार्टी से अलग अपना पक्ष रखा है।
‘इस बिल का विरोध गलत’
दिल्ली अध्यादेश बिल पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का कहना है, “लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है, ये बिल सदन में पास होना चाहिए। ये बिल दिल्ली की स्थिति के मुताबिक है। अगर आप दिल्ली को शक्तियां देना चाहते हैं तो, ये पूर्ण राज्य बनाया जाना चाहिए। मेरी राय में इस बिल का विरोध करना गलत है।”
अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है AAP
केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुकी है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस बिल के खिलाफ सभी विपक्षी दलों का समर्थन मांगा, जिसके बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी अध्यादेश के विरोध में उतर आए हैं।
केजरीवाल ने कहा था थैंक्यू
मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस के तमाम नेताओं ने बिल के खिलाफ अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया था, जिसके बाद केजरीवाल ने उन्हें थैंक्यू भी बोला था। इतना ही नहीं, इसके बाद ही केजरीवाल इंडिया गुट की बैठक में केजरीवाल शामिल हुए थे।
क्या है दिल्ली अध्यादेश बिल?
NCT दिल्ली संशोधन बिल 2023 में राजधानी दिल्ली में लोकतांत्रिक और प्रशासनिक संतुलन का प्रावधान है। सरकार और विधानसभा के कामकाज को लेकर GNCTD अधिनियम लागू है। केंद्र ने साल 2021 में इसमें संशोधन किया और उपराज्यपाल के पास ज्यादा शक्तियां आ गईं। इसके साथ ही, यह अनिवार्य कर दिया गया कि सत्तारूढ़ पार्टी को एलजी की राय लेना जरूरी है।