अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में मणिपुर रहा केंद्र बिंदु, विपक्ष का सवाल- क्यों चुप हैं PM

    लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरूआत करते हुए विपक्षी आइएनडीआइए ने मणिपुर की हिंसा से लेकर चीन के घुसपैठ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मौन रहने पर सवाल उठाते हुए भाजपा के राष्ट्रवाद पर हमला बोला। गोगोई ने कहा कि पीएम ने मौनव्रत ले लिया और तीन महीने से ज्यादा समय से जारी हिंसा के बावजूद मणिपुर जाना तो दूर कुछ नहीं बोला

    लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पर बहस की शुरूआत करते हुए विपक्षी आइएनडीआइए (Opposition Alliance INDIA) ने मणिपुर की हिंसा (Manipur Violence) से लेकर चीन के घुसपैठ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के मौन रहने पर सवाल उठाते हुए भाजपा के राष्ट्रवाद पर हमला बोला।

    मणिपुर की जातीय हिंसा रोकने में भाजपा की डबल इंजन सरकार के फेल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक इंडिया की बात करने वाली केंद्र सरकार ने दो मणिपुर बना दिए हैं। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री से कुछ सवालों का जवाब मांगते हुए उन्हें सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मणिपुर दौरा करने का भी सुझाव दिया।

    अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में मणिपुर रहा केंद्र बिंदु

    संसद में मानसून सत्र के दौरान मणिपुर मुद्दे के चलते बने गतिरोध पर अविश्वास प्रस्ताव लाने को मजबूरी बताते हुए गौरव गोगोई ने कहा कि यहां सवाल कभी भी संख्या का नहीं बल्कि इंसाफ का है। मणिपुर जल रहा है तो भारत जल रहा है और वहां की बेटियों व युवाओं को इंसाफ के लिए विपक्षी आइएनडीआइए प्रधानमंत्री से देश के मुखिया होने के नाते दोनों सदनों में आकर संवेदना और शांति की पहल करते।

    “गोगोई ने कहा कि इसकी जगह पीएम ने मौनव्रत ले लिया और तीन महीने से ज्यादा समय से जारी हिंसा के बावजूद मणिपुर जाना तो दूर कुछ नहीं बोला। मणिपुर की बेटियों से अत्याचार का वायरल वीडियो आने पर करीब 80 दिन बाद सदन के बाहर 30 सेंकेड के लिए पीएम बोले। कांग्रेस नेता ने तीन सवाल दागते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया, राज्य की हिंसा पर चुप्पी तोड़ने में उन्हें 80 दिन क्यों लगे और क्यों मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त नहीं किया गया। जब राहुल गांधी और विपक्षी सांसद मणिपुर पर शांति की पहल के लिए जा सकते हैं तो पीएम क्यों नहीं।”

    गोगोई ने कहा कि ऐसा इसीलिए हुआ कि उनकी राज्य की भाजपा सरकार, गृह विभाग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मणिपुर हिंसा से निपटने में विफल रहे। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पीएम को अपनी गलतियां स्वीकार करना गवारा नहीं है और इसीलिए वे चुप रहना पसंद करते हैं। पीएम मोदी पर प्रहार करते हुए गोगोई ने कहा कि मणिपुर में महिलाओं पर जब हमला हो रहा था तब वे कर्नाटक में वोट और कोविड में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की सांसें टूट रही थी पश्चिम बंगाल में वोट मांग रहे थे।

    ‘दिल्ली दंगे और किसानों की मौत पर चुप रहे पीएम मोदी’

    उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में 2020 हुए दंगे, किसान आंदोलन के दौरान 750 से अधिक किसानों की मौत पर पीएम मौन रहे तो चीन से जुड़े सवालों पर भी चुप्पी नहीं तोड़ी। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बाली में जी-20 बैठक के दौरान क्या बात हुई इस पर भी मौन कायम है। अदानी से जुड़े राहुल गांधी के सवालों पर भी पीएम चुप रहे।

    “भाजपा के राष्ट्रवाद के दावों पर प्रहार करते हुए गौरव गोगोई ने कहा कि चुनाव के लिए त्रिपुरा, गुजरात से लेकर उत्तराखंड में वह कई-कई मुख्यमंत्री बदल देती है मगर हिंसा में जल रहे मणिपुर में नाकाम सीएम को नहीं हटाया जाता। जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में शांति बहाली के लिए राजीव गांधी सरकार ने असम और मिजोरम में कांग्रेस की सरकारों को बलिदान कर दिया क्योंकि हमारे लिए सत्ता नहीं देश सर्वोपरि है।”

    गोगोई ने पीएम पर साधा निशाना

    आइएनडीआइए गठबंधन को आतंकी संगठनों का हवाला देकर बदनाम करने को लेकर पीएम पर निशाना साधते हुए गोगोई ने कहा कि आप बदनाम करते रहे हमें तिरंगे के अलावा कुछ नहीं दिखता, जिसमें कई रंगों के साथ बीच में अशोक चक्र है और आपके नफरत के बाजार में हम मोहब्बत की दुकान खोलेंगे।

    ‘वास्तविक सवालों से मोदी सरकार का कोई सरोकार नहीं’

    वहीं, द्रमुक के टीआर बालू ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए मणिपुर हिंसा में केंद्र और राज्य सरकार की नाकामियों की बात उठाते हुए कहा कि देश के वास्तविक सवालों से मोदी सरकार का कोई सरोकार नहीं। बंटवारे और विभाजन की उसकी नीति का नतीजा है कि संघीय व्यवस्था नाजुक दौर में है तो आम आदमी की मुश्किलें निरंतर बढ़ रही।

    “तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत राय ने ममता बनर्जी के राजनीतिक उत्थान में भाजपा की भूमिका होने के निशिकांत दूबे के दावे को खारिज करते हुए कहा कि लोकतंत्र को चोट पहुंचा रही सांप्रदायिक पार्टी से टीएमसी का कोई सरोकार नहीं हो सकता।”

    सुप्रिया सुले ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल

    एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा ने नौ साल के अपने शासन में नौ सरकारों को गिराया है। महंगाई चरम पर है तो रोजगार का गंभीर संकट है। मणिपुर की बेटियों के साथ जो वीभत्स व्यवहार हुआ है वह पूरे देश की महिलाओं की अस्मिता का सवाल है और केंद्र सरकार ऐसे संवेदनशील मसले पर देश को भरोसा नहीं दिला सकी है।

     

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