सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हरियाणा और दिल्ली सरकार से यमुना नदी के प्रदूषण पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया। इस मुद्दे पर अब 3 अक्तूबर को सुनवाई होगी। मंगलवार को ‘प्रदूषित नदियों का निवारण’ शीर्षक से एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा, यमुना के प्रदूषण के साथ-साथ तटीय क्षेत्रों और उपचारात्मक उपायों से संबंधित मामले उसके समक्ष हैं।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, यह उचित होगा कि इन मुद्दों को बांटा जाए और फिर सुना जाए ताकि उपचारात्मक उपायों का प्रभावी कार्यान्वयन हो सके। इस लिहाज से हम पहले यमुना नदी के प्रदूषण से जुड़े मुद्दे को सुनना उचित समझते हैं। हरियाणा और दिल्ली सरकार को इस संबंध में अलग अलग स्थिति रिपोर्ट दायर करनी होंगी। पीठ ने कहा, जहां तक तटीय क्षेत्रों का सवाल है, उस मुद्दे को अलग से उठाया जाएगा। इसके लिए बाद में तारीख तय की जाएगी।

शीर्ष अदलत ने 13 जनवरी 2021 को सीवेज अपशिष्टों से नदियों के दूषित होने के मामले में संज्ञान लिया था। अदालत ने तब कहा था कि प्रदूषण मुक्त पानी सांविधानिक ढांचे के तहत बुनियादी अधिकार है और एक कल्याणकारी राज्य इसे सुनिश्चित करने के लिए ‘बाध्य’ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली और हरियाणा समेत पांच राज्यों को नोटिस जारी किया था।