सैन्य और तकनीकी सहयोग पर चर्चा- लावरोव जयंशकर के साथ बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा कि हमने आधुनिक हथियारों के संयुक्त उत्पादन की संभावनाओं पर चर्चा की, जिसमें सैन्य और तकनीकी सहयोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पर इस क्षेत्र एक खास हुनर हैं। दोनों देशों का सहयोग रणनीतिक प्रकृति की है। सहयोग को प्रगाढ़ करना दोनों राष्ट्रों के हितों में हैं। साथ ही ये सभी यूरेशियन महाद्वीप में सुरक्षा के हितों से मेल खाता है। ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने पर जोर- लावरोव पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी को पता है कि भारतीय सहयोगियों की उनके सैन्य और तकनीकी संबंधों में विविधता लाने के इच्छा का सम्मान करते हैं। इसलिए हम मेड इन इंडिया कार्यक्रम के तहत सैन्य उत्पादों का उत्पादन करने का समर्थन करते हैं। बैठक में हमने ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने की अपनी आकांक्षा की पुष्टि की है। लावरोव ने कहा कि मैं और मेरे समकक्ष जयशंकर दोनों देशों के संबंधों के कानूनी ढांचे का विस्तार करने पर भी सहमत हुए। आज हमने इसको लेकर कई कदम उठाए हैं, जिसमें उत्तरी समुद्री मार्ग के विस्तार पर सहयोग शामिल हैं। दोनों देशों के संबंध में प्रगाढ़ता, कई क्षेत्रों में सहयोग का वादा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस संबंध बेहद प्रगाढ़ हैं। ये रिश्ते रणनीतिक अभिसरण, भू-राजनीतिक हितों पर आधारित हैं। ब्रिक्स सहित कई अतंरराष्ट्रीय मुद्दों के संबंध में राजनीतिक सहयोग पर चर्चा करने का समय हैं। हमने मौजूदा दोनों देशों के तथ्य की सराहना की। भारत और रूस ने पिछले वर्ष 50 अरब डॉलर का कारोबार किया है। उम्मीद है कि अगले साल यह आंकड़ा भी हम पार कर लेंगे। दोनों देशों के बीच व्यापार अधिक संतुलित है, यह टिकाऊ है और यह निष्पक्ष बाजार पहुंच प्रदान करता है। साथ ही कहा कि हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत इस साल जनवरी की दूसरी छमाही में फिर से शुरू की जाएगी। यूएन में भारत हो स्थायी सदस्य- रुस भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ द्विपक्षीय वार्ता पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि आर्थिक और निवेश को गहरा करने के लिए कई समझौते हुए हैं। हमने हमारे बहुपक्षीय मदद पर ध्यान दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्य बनने को लेकर रूस समर्थन करता है। साथ ही उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में विवादास्पद मुद्दों को बड़ी चतुराई से संभाला गया। यह दिखाता है कि भारत की विदेश नीति कितनी अच्छी है। बता दें भारत लंबे समय से यूएनएससी में स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है। वर्तमान में सिर्फ पांच देश ही इसके स्थायी सदस्य हैं, जिनमें ब्रिटेन, चीन, रूस, अमेरिका और फ्रांस हैं।

    मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में बुधवार को कोविड-19 के सब वैरिएंट जेएन.1 का पहला मामला सामने आ गया है। अभी दिल्ली में 35 मामले एक्टिव हैं। जिसमें से बुधवार को नौ नए मामले सामने आए हैं। 28 साल का शख्स दिल्ली का रहना वाला नहीं है। निजी अस्पताल में रेफर किया गया था। इस शख्स के सैंपल को जीनोम सीक्वेंसी के लिए भेजा गया था और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था।

    सौरभ भारद्वाज ने कोरोना के हालात पर दी जानकारी

    दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने बताया कि हमने दिल्ली में आरटीपीसीआर परीक्षण को शुरू कर दिया है। हर दिन 250 से 400 आरटीपीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिन दिल्ली में दो नए मरीज मिले। फिलहाल, अभी अस्पताल में कुल चार से पांच मरीज भर्ती हैं। अभी तक किसी भी मरीज की संक्रमण की वजह से मौत नहीं हुई है।

    देश में तेजी से फैल रहा कोरोना
    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सुबह आठ बजे अद्यतन आंकड़ें जारी किए गए। पिछले 24 घंटे में संक्रमण से तीन और लोगों की मौत हुई, जिनमें से दो कर्नाटक और एक गुजरात से है। पांच सितंबर तक मामलों में कमी दर्ज की गई थी। लेकिन ठंड का मौसम आते ही मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोविड-19 का एक नया वैरिएंट सामने आने से भी स्वास्थ्य महकमे की चिंता बढ़ गई है।

    2020 की शुरुआत में महामारी अपने चरम पर थी, तब हर दिन आने वाले मरीजों की संख्या लाखों में थी। तब से देश भर में लगभग चार वर्षों में 4.5 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं। वहीं, 5.3 लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

    मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, , बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4.4 करोड़ हो गई है और मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.81 प्रतिशत है। बता दें, मामले की मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है।देश में अब तक कोविड टीकों की 220.67 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं।

    जीनोम सीक्वेंसिंग क्या है और जरूरी क्यों?

    जीनोम यानी किसी जीव में मौजूद आनुवांशिक तत्व। जीनोम सीक्वेंसिंग तकनीक वैज्ञानिकों को वायरस के डीएनए व आरएनए में मौजूद आनुवांशिक सूचनाओं को जानने और परिभाषित करने में मदद करती है। इससे किसी मरीज में मिला वायरस कहां से आया जाना जाता है।

    वैज्ञानिक जानने में जुटे हैं कि वायरस फैलते हुए किस प्रकार से विकसित होता है। कोरोना के एक हजार जीनोम विश्व में पहचाने गए हैं। वैज्ञानिकों के पास वायरस की पूरी सीक्वेंसिंग होगी तो महामारी बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी।

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