कोहरे से जहां उत्तर भारत में जनजीवन अस्तव्यस्त है, वहीं गोरखपुर-बस्ती मंडल में दिसंबर में मार्च जैसी गरमाहट महसूस की जा रही है। सोमवार को यहां अधिकतम तापमान 25.8 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जो सामान्य से चार और दो डिग्री सेल्सियस अधिक है।
मौसम के इस बदले मिजाज से विज्ञानी ही नहीं किसान भी हैरान हैं। पूर्वांचल के जिलों में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है। लेकिन अभी तक मौसम शुष्क बना हुआ है।
पर्यावरणविद इसे ग्लोबल वार्मिंग, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और स्थानीय कारणों को जिम्मेदार बता रहे हैं। बेमौसम पड़ रही इस गर्मी का असर फसलों पर भी पड़ रहा है।
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो गेहूं की पौध विकसित होने के लिए अधिकतम 21 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है। मगर इस बार अभी तक का तापमान 24-25 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं आया है। महराजगंज के जिला कृषि अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि माह भर ऐसे ही तापमान बना रहा तो इसका असर गेहूं की पैदावार पर पड़ सकता है।