आखिर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र को जम के जाम से कौन निकलेगा आए दिन बाइक वाले हो रिक्शे वाले हो यहां तक की एंबुलेंस को भी एग्जाम से रूबरू होना पड़ता है और जमकर होना पड़ता है पर बड़े-बड़े अधिकारी अपनी सैलरी टाइम पर जरूर लेंगे यातायात व्यवस्था टाइम पर भले सुदृढ़ हो चाहे ना हो पर सैलरी के साथ पेंशन की जरूर चिंता होती है वही सरकारी लाभ के साथ ना बिजली का बिल देना है ना मकान का किराया देना है फिर हर रोज ऑफिस जाकर रास्ते को बस नाप कर चले आना है और हाजिरी लगा देना है चालान के नाम पर कभी बाइक वालों को पकड़ लिया जाता है तो कभी बड़ी कारों वालों को पकड़ लिया जाता है काशी के बादशाह के रूप में सिर्फ और सिर्फ टोटो वाले हैं मजाल है उनका कोई कुछ कह सकता है छोटा सिपाही तो बस मुख दर्शन बने रहते हैं बड़े-बड़े अधिकारी अपने रिश्तेदार के आव भगत ने मस्त रहते हैं कभी काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन करने के नाम पर तो कभी काशी में भ्रमण करने के नाम पर आखिर इस जाम से मुक्ति कौन दिलाएगा …. हां जब राजा साहब आते हैं तो पूरा रोड खाली कर दिया जाता है ऐसा लगता है कि…ऐसा लगता है कि सारे टोटो और बैटरी ई रिक्शा कहां चला गया और कहां गायब हो गया ऐसा लगता है कि वाराणसी में ट्रैफिक जीरो हो गई है

विडंबना इस बात की है इस बीच अगर कोई बीमार व्यक्ति हो जाए तो एंबुलेंस का सहारा भी नहीं ले सकता बस एकमात्र सहारा बचता है वह भी अर्थी पर जाने का विडंबना इस बात की है अगर कोई गलियों का भी सहारा लेता है तो उसमें ठेले वाले माल उतारते हुए गलियों को जाम लगाए पड़े रहते हैं और रहा बच्चा कसर टोटो वाले भी उसी में घुस जाते हैं तो आम व्यक्ति जाए तो जाए कहां जाए हर तरफ जाम और जाम जाम लगा रहता है अधिकारी मस्त रहते हैं