कुछ देर में फैसला: केजरीवाल को मिलेगी जमानत या नहीं… ये 5 दलीलें तय करेंगी

     

     

    नई दिल्‍ली : 

    सुप्रीम कोर्ट ने कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे. अदालत ने केंद्रीय एजेंसी से पूछा, “अगर ऐसे सबूत हैं जो अपराध की ओर इशारा करते हैं… और अन्य जो निर्दोषता की ओर इशारा करते हैं… तो क्या आप अपनी सहूलियत से चुन सकते हैं?”

    जस्टिस खन्ना ने ईडी से पूछा कि क्या राजनीतिक कार्यकारिणी भी नीति बनाने में शामिल थी? हमारी चर्चा का दायरा ईडी की धारा 19 के कार्यान्वयन तक है. क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी में धारा-19 के प्रावधानों का पालन किया गया या नहीं! बस!! आप इस बारे में कोर्ट को बताएं!
    ईडी के वकील ने कोर्ट में कहा- ये पॉलिटिकली मोटिवेटिड केस नहीं है. हमारे पास इसके पुख्ता सबूत हैं. अरविंद केजरीवाल 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान सात-सितारा होटल में ठहरे थे, उनके कुछ बिल का भुगतान दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने किया था.

    2- आरोपियों से सीधे प्रासंगिक सवाल क्यों नहीं पूछे गए?

    सुप्रीम कोर्ट ने जांच में देरी पर ईडी से सवाल किया कि दिल्ली आबकारी नीति मामले में गवाहों, आरोपियों से सीधे प्रासंगिक सवाल क्यों नहीं पूछे गए? कोर्ट ने ईडी द्वारा जांच में लिए गए समय पर सवाल उठाया और कहा कि उसने चीजों को सामने लाने में दो साल लगा दिए.
    ईडी ने न्यायालय में कहा, शुरुआत में अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में जांच के केंद्र में नहीं थे, उनकी भूमिका बाद में स्पष्ट हुई.

    जस्टिस खन्ना ने पूछा कि आपने कहा था कि 100 करोड़ अपराध की आय है, ये 1100 करोड़ कैसे हो गया ? यह 2 या 3 वर्षों में 1100 करोड़… यह रिटर्न की एक अभूतपूर्व दर होगी?
    इस पर एएसजी ने कहा कि 590 करोड़ थोक व्यापारी का मुनाफा है.
    इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, अंतर लगभग 338 करोड़ था, पूरी चीज़ अपराध की आय नहीं हो सकती.

    4- क्या आप सहूलियत के हिसाब से कुछ ले सकते हैं?

    सुप्रीम कोर्ट का ED से बड़ा सवाल… जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा- यदि ऐसी सामग्री है, जो दोषी की ओर इशारा करती है, और अन्य जो दोषी ना होने की ओर इशारा करती है, तो क्या आप सहूलियत के हिसाब से कुछ ले सकते हैं?
    एएसजी राजू ने इस पर कहा, यह आईओ पर निर्भर है.
    जस्टिस दत्ता: यह एक प्रशासनिक कार्य है? आपको दोनों में संतुलन बनाना होगा. एक भाग को बाहर नहीं कर सकते. आप एक व्यक्ति के जीने के अधिकार को छीन रहे हैं.

    5- केजरीवाल का नाम पहली बार कब लिया गया? 

    जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा-  बयानों में केजरीवाल का नाम पहली बार कब लिया गया?

    ASG राजू : 23.02.2023 बुची बाबू के बयान में आया. जब हमने जांच शुरू की, तो हमारी जांच सीधे तौर पर उनके खिलाफ नहीं थी. जांच के दौरान उनकी भूमिका सामने आई. इसीलिए शुरुआत में उनके बारे में एक भी सवाल नहीं पूछा गया, जांच उन पर केंद्रित नहीं थी.

    NO COMMENTS

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Exit mobile version