आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं, जो कि 12 अक्टूबर को समाप्त होंगे। इसी दिन दुर्गा विसर्जन के साथ विजयादशमी का त्यौहार भी मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है और यह प्रमुख पर्वों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा धरती लोक पर आती हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के उपाय अपनाते हैं। वहीं नवरात्रि के दिन पहले दिन कलश स्थापना और जौ बोने का विधान है। तो आइए जानते हैं कि किसी विधि और नियम के साथ जौ बोना चाहिए। साथ ही जानेंगे इसके महत्व के बारे में।

नवरात्रि के पहले दिन जौ बोने की परंपरा है, जिसे ज्वार या खैत्री भी कहा जाता है।  जौ को पूजा पाठ में सबसे पवित्र अन्न माना जाता है। इसे बोने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। साथ ही यह समृद्धि का भी प्रतीक माना जाता है। 

नवरात्रि में इस विधि के साथ बोए जौ;

सबसे पहले स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें और फिर इसके बाद मंदिर या पूजा घर को साफ कर गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें। अब जौ बोने के लिए मिट्टी का एक पात्र लें और उसे साफ करें और गंगाजल से पवित्र कर लें। फिर साफ मिट्टी की एक परत बिछाएं और उसपर जौ के दानों परत बनाकर फिर से मिट्टी की परत चढ़ा दें। मिट्टी के पात्र के नीचे स्वास्तिक बनाकर उस पर पात्र रखें। पात्र के चारों तरफ मोली बांधकर पारत्र सतिया बनाकर टीका और अक्षत लगाएं। अब इस पात्र को देवी मां की मूर्ति या तस्वीर के सामने रख दें। नवरात्रि के पहले दिन इस पात्र में साफ पानी डालें। जौ और पानी की मात्रा पात्र के हिसाब से ही डालें।