सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने एक बार फिर गणपति पूजन पर पीएम मोदी के उनके आवास पर आने को लेकर बयान दिया है। सीजेआई ने कहा है कि उनके आने में कुछ भी गलत नहीं था और ऐसे मुद्दों पर राजनीतिक हल्कों में परिपक्वता की भावना की जरूरत है। दरअसल, गणपति पूजा के दौरान पीएम मोदी, सीजेआई चंद्रचूड़ के आधिकारिक आवास पर गए थे, जिसकी तस्वीरें भी सामने आई थी। इसके बाद विपक्ष ने इसपर काफी आपत्ति जताई थी। हालांकि भाजपा ने इसे देश की संस्कृति का हिस्सा बताया था। वहीं अब सीजेआई ने इस पर बयान दिया है।
‘बुनियादी मुद्दों पर चर्चा की जाती है’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि इस बात का सम्मान किया जाना चाहिए कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संवाद मजबूत अंतर-संस्थागत तंत्र के तहत होता है। दोनों की शक्तियों के पृथक्करण का मतलब यह नहीं है कि वे एक-दूसरे से मिलेंगे नहीं। उन्होंने आगे कहा, “शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा का यह अर्थ नहीं है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका इस भावना में एक-दूसरे से अलग हैं कि वे मिलेंगे नहीं या तर्कसंगत संवाद नहीं करेंगे। राज्यों में, मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति का मुख्यमंत्री से मिलने और मुख्यमंत्री के मुख्य न्यायाधीश से उनके आवास पर मिलने का एक प्रोटोकॉल है। इनमें से अधिकांश बैठकों में बजट, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी आदि जैसे बुनियादी मुद्दों पर चर्चा की जाती है।”
‘इसमें कुछ भी गलत नहीं है’
वहीं पीएम मोदी के उनके आवास पर आने को लेकर सीजेआई ने कहा, “प्रधानमंत्री गणपति पूजा के लिए मेरे घर आए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सामाजिक स्तर पर न्यायपालिका और कार्यपालिका से जुड़े व्यक्तियों के बीच निरंतर बैठकें होती हैं। हम राष्ट्रपति भवन में, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं। हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों से बात करते हैं। इस दौरान उन मामलों पर बात नहीं होती, जिनपर हमें फैसला लेना होता है, बल्कि सामान्य रूप से जीवन और समाज से जुड़े मामलों पर बात होती है।”
‘निर्णयों पर खुलकर चर्चा की जा सकती है’
इसके अलावा 10 नवंबर को रिटायर होने पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “इसे समझने और अपने न्यायाधीशों पर भरोसा करने के लिए राजनीतिक व्यवस्था में परिपक्वता की भावना होनी चाहिए, क्योंकि हम जो काम करते हैं उसका मूल्यांकन हमारे लिखित शब्दों से होता है। हम जो भी निर्णय लेते हैं उसे गुप्त नहीं रखा जाता है और उसपर खुलकर चर्चा की जा सकती है।”
‘न्यायिक पक्ष से कोई लेना-देना नहीं’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि प्रशासनिक स्तर पर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच होने वाली बातचीत का न्यायिक पक्ष से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, “शक्तियों के पृथक्करण में यह प्रावधान है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका की भूमिका नहीं निभानी चाहिए जो नीतियां निर्धारित करती है, क्योंकि नीति निर्धारण की शक्ति सरकार के पास है। इसी तरह कार्यपालिका अदालती मामलों पर निर्णय नहीं करती। बातचीत होनी चाहिए क्योंकि आप न्यायपालिका में लोगों के भविष्य और जीवन के बारे में फैसला कर रहे होते हैं।” सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बातचीत का अदालती मामलों पर होने वाले फैसलों से कोई लेना-देना नहीं है।
राम मंदिर मामले पर भी बोले सीजेआई
इसके अलावा अयोध्या में राम मंदिर को लेकर चल रहे विवाद के समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना करने वाले उनके बयान को लेकर भी काफी विवाद हुआ था। इस पर उन्होंने खुद को सभी धर्मों का सम्मान करने वाला आस्थावान व्यक्ति बताया। सीजेआई ने कहा, “यह सोशल मीडिया की समस्या है। आपको उस पृष्ठभूमि के बारे में भी बताना चाहिए, जिसके तहत मैंने वह बात कही थी।” बता दें कि उन्होंने कहा था कि उन्होंने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में एक समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना की थी।